कानपुर: कोरोना काल के दौरान अस्पतालों में व्याप्त धांधली की परतें धीरे-धीरे करके खुलने लगी हैं। हालांकि अस्पतालों पर फर्जीवाड़ा करने की शिकायतें शुरू से ही मिल रही थीं, लेकिन लापरवाही का आलम रहा कि न तो किसी अस्पताल ठोस कार्रवाई हुई और न ही किसी में कार्रवाई होने का डर दिखा। आगरा के पारस अस्पतालों में जहां प्रयोग करके 22 मरीजों को मौत के घाट उतार दिया गया वहीं अब कानपुर के हैलट अस्पताल में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर यहां बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। हैलट पर आरोप है कि नर्सिंग स्टाफ ने मरीज की मौत के बाद स्टोर से इंजेक्शन जारी करवाए। अस्पताल कर्मियों की तरफ से रेमडेसिविर इंजेक्शन को मृतकों के नाम पर जारी करवारकर उन्हें बाजार में मंहगे दामों पर बेचा गया है।

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत थी। इस दौरान मरीजों को बाजार में आसानी से रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे थे। रेमडेसिविर इंजेक्शन को पाने के लिए मरीजों ने बाजारों में भारी किमत चुकानी पड़ रही थी। वहीं हैलट अस्पताल की धांधली का खुलासा अब हुआ है। जानकारी मिल रही है कि शासन की तरफ से हैलट को मरीजों के लिए जो रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे गए थे उनमें बड़ा घपला हुआ है। आरोप है कि तीन-चार दिन पहले मृत हो चुके लोगों के इलाज के नाम पर स्टाफ ने इंजेक्शन जारी करवा लिए। हालांकि यह फर्जीवाड़ा कितना बड़ा है अभी तक इसका पता नहीं चल सका है।

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रिपोर्ट के अनुसार कम से कम चार मरीजों के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी करवाए गए हैं। इस संदर्भ में अस्पताल के एक वार्ड ब्वॉय को गिरफ्तार किया गया था और बाद में बचे इंजेक्शन को बाजार में अच्छी कीमत पर इसे बाजार में बेच देता था। बता दें कि आगरा के पारस अस्पताल का वीडियो वायरल होने के बाद उसे सील कर दिया गया है। फिलहाल हैलट अस्पताल पर प्रशासनिक चुप्पी यह बता रहा है कि मामला गंभर है।

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