प्रकाश सिंह

UP Nagar Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का एलान हो चुका है। दो चरणों में चुनाव होने हैं। वहीं प्रदेश में कभी सत्ता की हनक कायम करने वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सामने प्रत्याशियों का संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। बसपा ने चुनाव के एलान होते ही जहां बस्ती जनपद के दिग्गज नेता राजकिशोर सिंह व उनके छोटे भाई बृजकिशोर सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया, वहीं प्रयागराज में पार्टी के सामने उम्मीदवार का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि मायावती (mayawati) इस संकट पर जनता को गुमराह करते हुए सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस करके अतीक अहमद (Atiq Ahmed) की पत्नी शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) व उनके किसी करीबी को टिकट देने से इनकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने यूपी नगर निकाय चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav) बैलेट पेपर से कराने की भी मांग की।

बता दें कि प्रयागराज उमेश पाल हत्याकांड से पहले अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) को बसपा में शामिल कराया गया था। माना जा रहा था कि शाइस्ता परवीन को बसपा प्रयागराज महापौर के चुनाव के लिए शाइस्ता परवीन को उतार सकती है। लेकिन उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता परवीन का साजिशकर्ता में नाम आते ही बसपा का समीकरण बदलने लगा। पत्रकारों ने मायावती (mayawati) से जब शाइस्ता परवीन को पार्टी से निकालने के संदर्भ में सवाल किया तो उन्होंने कहा था कि अगर जांच में वह दोषी पाई जाती हैं, तो पार्टी उनपर विचार करेगी। अब जब जांच में शाइस्ता परवीन पूरी तरह से दोषी पाई गई हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए वह फरार चल रही हैं, तो मायावती चुप्पी साध गई हैं। हालांकि इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद भी शाइस्ता परवीन अभी भी बसपा की सदस्य बनी हुई हैं।

मायावती ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि नगर निकाया के चुनाव में अतीक अहमद की पत्नी व उनके किसी करीबी को पार्टी टिकट नहीं देगी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शाइस्ता परवीन की जरूरत मायावती से ज्यादा पुलिस को है। ऐसे में बसपा अगर शाइस्ता परवीन को टिकट देते है, तो उस टिकट पर लड़ेगा कौन। रही बात अतीक अहमद के समर्थक का तो सभी फरार चल रहे हैं। ऐसे में मायावती किसको और कैसे टिकट दे सकती हैं। फिलहाल मायावती मझी राजनीति करने में माहिर है, उनके सामने ऐसे सवाल उठते उससे पहले उन्होंने टिकट न देकर सभी सवालों पर विराम लगा दिया है।

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वहीं एक के बाद एक बसपा नेता की कमी पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन चुकी है। जहां अन्य राजनीतिक दल नगर निकाय चुनाव की तैयारी पूरी कर चुके हैं, वहीं बसपा के सामने योग्य उम्मीदवारों का टोटा पड़ गया है। यूपी नगर निकाय चुनाव की रणभेदी के बीच मायावती कैसे उम्मीदवारों का चयन करेंगी यह देखना दिलचस्प होगा।

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