काबुल: भारत के प्रति पाकिस्तान का नापाक मंसूबा एकबार फिर बेनकाब हो गया है। पाकिस्तान तालिबान के सहारे कश्मीर मुद्दे पर दखलंदाजी करने की कोशिश में लगा हुआ है, जिसे तालिबान ने खारिज कर दिया है। तालिबान से साफ किया है कि वह कश्मीर मामले में कोई दखलंदाजी नहीं करेगा। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में तालिबानी नेता अनस ने कहा है कि वह मश्मीर मामले में दखल नहीं देगा। अनस हक्कानी से जब यह सवाल किया गया कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के काफी करीब है, और वह कश्मीर मामले में लगातार हस्तक्षेप कर रहा है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है और यहां हस्तक्षेप करना नीति के खिलाफ है। ऐसे में कश्मीर में हस्तक्षेप करने का कोई सवाल ही नहीं है।
बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की पूरी तरह से वापसी हो गई है। करीब 20 साल बाद अफगान में तालिबान का पूरी तरह से कब्जा हो गया है। वहीं अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान खेमें में खुशी की लहर है। ऐसे में तालिबान का प्रभुत्व काफी बढ़ गया है। तालिबान का अगला कदम क्या हो सकता है इसपर सभी की निगाहें बनी हुई हैं। कुछ देश जहां तालिबान का विरोध कर रहे हैं। वहीं अधिकतर देश तालिबान से रिश्ते बनाने में लग गए हैं। चीन और पाकिस्तान ऐसे देश हैं जो निजी लाभ के लिए किसी से हाथ मिला सकते हैं। चूंकि दोनों देश भारत के पड़ोसी मुल्क हैं, और दोनों ही किसी न किसी बहाने भारत को घेरने की फिराक में रहते हैं।
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देश छोड़ने से पहले गनी ने बाइडेन से की थी बात
वहीं खबर यह भी आ रही है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से करीब 14 मिनट तक फोन पर बात हुई थी। इस दौरान दोनों समकक्ष नेताओं के बीच क्या बात हुई थी इसको लेकर कयासबाजी तेज हो गई है। वहीं इस खुलासे के बाद से यह साफ हो गया है कि अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है, वह अंतरराष्ट्रीय साजिश का बड़ा हिस्सा है। सभी देश अफगानिस्तान के मुद्दे को भुनाने में लगे हैं। सभी की कोशिश है कि तालिबान का झुकाव उनकी तरफ हो। अमेरिका जिसका अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व था, उसने अपने सैनिकों को वापस बुलाकर यह साबित कर दिया है कि वह तालिबान का विरोधी नहीं है।
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