आया बसंत
मन में उमंग अति हर्ष लिये। आया बसंत नव वर्ष लिये।। हरी भरी प्राकृति गोंद। चिड़ियों की चहचह हास्य विनोद।। संवरी वसुधा अनगिनत रंग। हस रहे पुष्प भौरों के संघ।।…
मन में उमंग अति हर्ष लिये। आया बसंत नव वर्ष लिये।। हरी भरी प्राकृति गोंद। चिड़ियों की चहचह हास्य विनोद।। संवरी वसुधा अनगिनत रंग। हस रहे पुष्प भौरों के संघ।।…
चाह थी की मैं तुम्हारे। नैन का अंजन बनूँ।। लालिमा अधरों की तेरे। मांग मध्य सिंदूर बनूं।। कुसमाकर के तरूपल्लव सा। मैं तेरा सिंगार बनूं।। अद्भुत रूप धरूं उपवन में।…