Poem: सोचो! और विचार करो
बृजेंद्र क्या योगदान तुम्हारा है। सर्वोच्च ज्ञान सम्पदा पूर्ण फिर भारत क्यों हारा है।। भारत कटता छटता रहा हम रहे सिकुड़ कर मौन। इसका अपराधी कौन है सोचो! है उत्तरदायी…
बृजेंद्र क्या योगदान तुम्हारा है। सर्वोच्च ज्ञान सम्पदा पूर्ण फिर भारत क्यों हारा है।। भारत कटता छटता रहा हम रहे सिकुड़ कर मौन। इसका अपराधी कौन है सोचो! है उत्तरदायी…
स्वप्न संजोए आंखों में, संकल्प लिए आगे बढ़ता। संघर्षों में भी जो प्रसन्न, नित नई सीढ़ियां चढ़ता।। धैर्यवान प्रेरणा पुंज। जीवन अनुपम वरदान। कथा सदा ही याद रहे, संकल्प जिनका…
बृजेंद्र खिल उठे हृदय का तंतु तंतु, जग उठें शीत में सुप्त जंतु। हँसती चहूं दिश होवे बयार, स्वागत को हो ऋतुराज द्वार।। जब रंगबिरंगी तितली बहकें, विविध भांति चिड़िया…
चंचल माहौर ‘स्वर’ एक आरजू उसके संग रहने की। हवाओं में संग उसके बहने की। जुस्तजू इतनी सी रहे वो मेरे साथ, आदत नहीं खुद को बदलने की।। दर्द देने…