मिलन की चाह

चाह थी की मैं तुम्हारे। नैन का अंजन बनूँ।। लालिमा अधरों की तेरे। मांग मध्य सिंदूर बनूं।। कुसमाकर के तरूपल्लव सा। मैं तेरा सिंगार बनूं।। अद्भुत रूप धरूं उपवन में।…

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