प्रथम नवसंवत्सर का प्रथम आलोक

नवसंवत्सर का स्वागत। काल सुंदर रथ पर सवार है। यह हर बरस मधुमय नवसंवत्सर लाता है। काल सर्वशक्तिमान देवता हैं। अथर्ववेद (9-53) के ऋषि भृगु ने उनकी महिमा गायी है,…

फिल्म छावा और औरंगजेब का मूल चरित्र

सिनेमा दृश्य श्रव्य माध्यम है। यह करोड़ों को रोजगार देता है और प्रतिभाशाली लोगों को सृजन के अवसर। लेकिन बड़े पर्दे के सिनेमा के दर्शक घटे हैं। सोशल मीडिया में…

अंग्रेजी हमारे परिवार की भाषा नहीं

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने केन्द्र पर हिन्दी थोपने का आरोप दोहराया है। इस बयान से राष्ट्रभाषा प्रेमी आहत हैं। हिन्दी हमारा जीवनरस है। प्राण और आत्म भी। मां के…

आनंद ही है जीव की आत्मा की प्यास

भारतीय चिन्तन में समग्रता में विचार मूल आवश्यकता है। वैदिक पूर्वजों ने संसार को समग्रता से देखा था। उन्होंने संपूर्ण अस्तित्व को ध्यान से देखा। आगमन और निगमन पद्धति से…

अपयश के प्रमाण पत्र नहीं होते

प्रशस्ति और सम्मान स्वाभाविक इच्छा हैं। यश अभिलाषा स्वाभाविक ही है। यश स्मृति आनन्दित करती है। जीवन में अपमान और अपयश भी होते हैं लेकिन अपयश के प्रमाण पत्र या…

संविधान निर्माता सनातन सांस्कृतिक क्षमता से परिचित थे

उत्सव और उल्लास आनंद देते हैं। भारत ने 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया था। संविधान 26 जनवरी के दिन पूरा प्रवर्तित हुआ। भारतीय संविधान सभा की आखिरी…

इंद्रियां हैं संसार समझने के उपकरण

संसार प्रत्यक्ष है। संसार समझने के लिए प्रकृति-प्रदत्त पाँच इन्द्रियाँ है। आँख से देखते हैं, कानों से सुनते हैं। त्वचा से स्पर्श करते हैं। जीभ से स्वाद लेते हैं और…

अंतरिक्ष का भी अनुसंधान कर रहे हैं विज्ञान और दर्शन

सम्पूर्ण प्रकृति से आत्मीय व्यवहार श्रेष्ठ है। प्रकृति की शक्तियाँ सुनिश्चित नियमों में गतिशील हैं। वैदिक पूर्वजों ने इस नियम को ऋत कहा है। प्रकृति की तरह मनुष्य को भी…

यौन विचार या रोमांस चित्त प्रशांत नहीं करते

स्मृति को सामान्यतया अतीत का भाग कहा जाता है। लेकिन स्मृति हमेशा वर्तमान होती है। घटनाएं या विचार अभिव्यक्ति या अन्य सरोकार बेशक अतीत का भाग होते हैं लेकिन उनकी…

शब्द की अपनी सत्ता होती है

शब्द सामाजिक संपदा हैं। हरेक भाषा में शब्द हैं। प्राचीन काल में शब्द बोले जाते थे। सुने जाते थे। तब लिपि की खोज नहीं हुई थी। बोले और सुने गए…

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