आनंद ही है जीव की आत्मा की प्यास
भारतीय चिन्तन में समग्रता में विचार मूल आवश्यकता है। वैदिक पूर्वजों ने संसार को समग्रता से देखा था। उन्होंने संपूर्ण अस्तित्व को ध्यान से देखा। आगमन और निगमन पद्धति से…
भारतीय चिन्तन में समग्रता में विचार मूल आवश्यकता है। वैदिक पूर्वजों ने संसार को समग्रता से देखा था। उन्होंने संपूर्ण अस्तित्व को ध्यान से देखा। आगमन और निगमन पद्धति से…
प्रशस्ति और सम्मान स्वाभाविक इच्छा हैं। यश अभिलाषा स्वाभाविक ही है। यश स्मृति आनन्दित करती है। जीवन में अपमान और अपयश भी होते हैं लेकिन अपयश के प्रमाण पत्र या…
उत्सव और उल्लास आनंद देते हैं। भारत ने 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया था। संविधान 26 जनवरी के दिन पूरा प्रवर्तित हुआ। भारतीय संविधान सभा की आखिरी…
संसार प्रत्यक्ष है। संसार समझने के लिए प्रकृति-प्रदत्त पाँच इन्द्रियाँ है। आँख से देखते हैं, कानों से सुनते हैं। त्वचा से स्पर्श करते हैं। जीभ से स्वाद लेते हैं और…
सम्पूर्ण प्रकृति से आत्मीय व्यवहार श्रेष्ठ है। प्रकृति की शक्तियाँ सुनिश्चित नियमों में गतिशील हैं। वैदिक पूर्वजों ने इस नियम को ऋत कहा है। प्रकृति की तरह मनुष्य को भी…
स्मृति को सामान्यतया अतीत का भाग कहा जाता है। लेकिन स्मृति हमेशा वर्तमान होती है। घटनाएं या विचार अभिव्यक्ति या अन्य सरोकार बेशक अतीत का भाग होते हैं लेकिन उनकी…
शब्द सामाजिक संपदा हैं। हरेक भाषा में शब्द हैं। प्राचीन काल में शब्द बोले जाते थे। सुने जाते थे। तब लिपि की खोज नहीं हुई थी। बोले और सुने गए…
वायु प्रदूषण से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोग हलकान हैं। दिल्ली के आस पास सांस लेना कठिन है। हवा विषाक्त हो गई है। एक्यूआई अपने उच्चतम…
आहार व्यक्तित्व का आधार है। आहार पर भी देशकाल का प्रभाव होता है। ठंडी जलवायु वाले देशों में शरीर के ताप को विशेष स्तर पर बनाए रखने की जरूरत होती…
मानव अभिलाषा और जिजीवीषा का इतिहास रुचिपूर्ण है। ऋग्वेद इतिहास का प्रथम शब्द साक्ष्य है। प्राचीन भारतीय इतिहास का सत्य है और करोड़ों की श्रद्धा। वैदिक काव्य को ईश्वरीय भी…