ऐ खुदा कौन सा ये मंजर है
हर तरफ दर्द का समन्दर है। ऐ खुदा कौन सा ये मंजर है। मुल्क में बेबसी का है पहरा। और सोया हुआ कलन्दर है। मुश्किलों से जो हारकर बैठे। कैसे…
हर तरफ दर्द का समन्दर है। ऐ खुदा कौन सा ये मंजर है। मुल्क में बेबसी का है पहरा। और सोया हुआ कलन्दर है। मुश्किलों से जो हारकर बैठे। कैसे…
वक्त यह जैसा कहेगा अब तुम्हें ढलना पड़ेगा आंधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा लाख बाधायें भले ही अब तुम्हें आकर डरायें हों भले अवरोध कितने पग न लेकिन…