Pauranik Katha: सूर्य आराधना का अद्भुत फल

Pauranik Katha: महाराज सत्राजित का भगवान भास्कर में स्वाभाविक अनुराग था। उनके नेत्र कमल तो केवल दिन में भगवान सूर्य पर टकटकी लगाये रहते हैं, किंतु सत्राजित की मनरूपी आंखें…

Pauranik Katha: कर्म में अकर्म कैसे, जानें विश्वामित्र और वशिष्ठ की कहानी

Pauranik Katha: वैदिककाल की बात है। सप्त ऋषियों में से एक ऋषि हुए है महर्षि वशिष्ठ। महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु और श्रीराम के आचार्य थे। उन दिनों महर्षि…

Pauranik Katha: मर्यादा और संयम की प्रतीक माँ सीता

Pauranik Katha: रावण ने जब माँ सीता जी का हरण करके लंका ले गया तब लंका मे सीताजी वट वृक्ष के नीचे बैठ कर चिंतन करने लगी। रावण बार-बार आकर…

Pauranik Katha: नल दमयंती

Pauranik Katha: विदर्भ देश में भीष्मक नाम के एक राजा राज्य करते थे। उनकी पुत्री का नाम दमयन्ती था। दमयन्ती लक्ष्मी के समान रूपवती थी। उन्हीं दिनों निषध देश में…

Prerak Prasang: एक ही घड़ी मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके कर्म और भाग्य क्यों होते हैं अलग-अलग

Prerak Prasang: एक बार एक राजा ने विद्वान ज्योतिषियों की सभा बुलाकर प्रश्न किया कि मेरी जन्म पत्रिका के अनुसार मेरा राजा बनने का योग था, मैं राजा बना, किन्तु…

Prerak Prasang: मृत्यु के साथ मिट जाते हैं रिश्ते

Prerak Prasang: एक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बरू के साथ मृत्युलोक का भ्रमण कर रहे थे। गर्मियों के दिन थे। गर्मी की वजह से वह पीपल के पेड़ की…

Kahani: कर भला तो हो भला

Kahani: जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले तब काल उसको लेने आया। और जैसे ही काल आया गिद्धराज जटायु ने मौत को ललकार कहा, “खबरदार ये मृत्यु।…

Pauranik Katha: राजा विक्रमादित्य की कुल देवी हरसिद्धि माता की कथा

उज्जयिन्यां कूर्परं व मांगल्य कपिलाम्बरः। भैरवः सिद्धिदः साक्षात् देवी मंगल चण्डिका। Pauranik Katha: पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता सती के पिता दक्षराज ने विराट यज्ञ का भव्य आयोजन…

Praunik katha: यमराज के दरबार में जिन्दा मनुष्य

Praunik katha: कोई हाथी मरकर यमपुरी पहुँचा। यमराज ने हाथी से पूछा- इतना मोटा बढ़िया हाथी और मनुष्य लोक में पैदा होने के बाद भी ऐसे कंगले का कंगला आ…