Kavita: मेरी मां को

मेरी मां को तस्वीर के लिए मुस्कुराना नहीं आता मैं जैसे ही खोलती हूं कैमरा वो झेंपने लगती हैं शर्माती हैं आठवीं कक्षा की लड़की सी दो तीन बार पल्लू…

Kavita: दिल अंदर दिलदार है अंदर

दिल अंदर दिलदार है अंदर, प्रीतम प्रेमी प्यार है अंदर। परमपुरुष की सारी रचना, साथ में रचनाकार है अंदर। विष्णु अंदर ब्रह्मा अंदर, शिव अंदर शिवद्वारा अंदर। नवदुर्गा ग्रह चंद…

Kavita: चल अंदर

सूरज बाहर, तारे बाहर, पवन अगन जल चंदा बाहर। महल अटारी, नौकर चाकर, धन-दौलत का धंधा बाहर। बप्पा बाहर अम्मा बाहर, नाना-नानी-मम्मा बाहर। बेटी-बेटा भगनी भाई, कामी और निक्कमा बाहर।…

Kavita: किसी को किसी से फर्क नहीं पड़ता

किसी को किसी से फर्क नहीं पड़ता दांव लगाने वाला भी शर्त नहीं पढ़ता गोरखधंधों से कमाने वाला इंसान जरूरतमंदों पर खर्च नहीं करता गीता, बाईबल, ग्रंथ, कुरान पढ़ने वाला…

Kavita: अब बदलने वाला होगा बहुत कुछ

अब बदलने वाला होगा बहुत कुछ तुम मिलोगे कुछ नये लोगों से बहुत कुछ पीछे रह जाएगा। शायद कुछ ही ऐसे रिश्ते होंगे या यूं कहें कि कुछ यादें जो…

Kavita: सड़कों पर लावारिस मौत

सड़कों पर लावारिस मौत, मरते जानवर, घरों के अंदर हिंसा और अलगाव झेलते वृद्ध। खत्म होते हुए गिद्ध और गिद्ध बनते आदमी, अंधा कानून और कानून से अंधा बनाती सरकारें।…

Poem: मैंने देखा है फिल्मों में

मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…

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