Poem: प्रियतम की हर बात बसन्ती!
नयनों पर छाता मधुमास, अधरों पर खिलता ऋतुरास। अंग-अंग केसर की क्यारी, मुख जैसे जलजात बसन्ती। प्रियतम की हर बात बसन्ती! रूप सुहाना, छटा सलोनी, एक-एक है अदा सलोनी। रोम-रोम…
नयनों पर छाता मधुमास, अधरों पर खिलता ऋतुरास। अंग-अंग केसर की क्यारी, मुख जैसे जलजात बसन्ती। प्रियतम की हर बात बसन्ती! रूप सुहाना, छटा सलोनी, एक-एक है अदा सलोनी। रोम-रोम…