Poem: भइया, समझो!
क्या कहा भइया? हम नादान हैं, भोले हैं, दिमाग से पोले हैं। आज कागज फाड़ रहे हैं, कल कपड़े फाड़ेंगे। लेकिन भइया! सच तो यह है कि तुम नादान हो,…
क्या कहा भइया? हम नादान हैं, भोले हैं, दिमाग से पोले हैं। आज कागज फाड़ रहे हैं, कल कपड़े फाड़ेंगे। लेकिन भइया! सच तो यह है कि तुम नादान हो,…