

नयनों पर छाता मधुमास,
अधरों पर खिलता ऋतुरास।
अंग-अंग केसर की क्यारी,
मुख जैसे जलजात बसन्ती।
प्रियतम की हर बात बसन्ती!
रूप सुहाना, छटा सलोनी,
एक-एक है अदा सलोनी।
रोम-रोम मकरन्द बिखेरे,
हृदय बसन्ती, गात बसन्ती।
प्रियतम की हर बात बसन्ती!
मादकता मदिरा में जैसे,
मोहकता प्रतिमा में जैसे।
प्रियतम मस्त सुनहरे बादल,
बरसाते बरसात बसन्ती।
प्रियतम की हर बात बसन्ती!
गगाजल-सा प्यार सनम का,
साथ हमारा जनम-जनम का।
उनका दर्शन ही बसन्त है,
होते हैं जजबात बसन्ती।
प्रियतम की हर बात बसन्ती!
प्रिय नेरे हैं, जग नेरा है,
वो मेरे हैं, सब मेरा है।
‘श्याम’ उन्हें अंकों में पाकर
मेरी तो हर रात बसन्ती।
प्रियतम की हर बात बसन्ती!
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