राघवेंद्र प्रसाद मिश्र
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) की तारीखों के एलान के बाद यहां सियासी घमासान मच गया है। यूपी विधानसभा चुनाव में जहां सत्तारूढ़ भाजपा और सपा के बीच जहां सीधी टक्कर देखी जा रही है, वहीं समाजवादी पार्टी ने भाजपा में तगड़ी सेंधमारी कर सियासी हलचल को बढ़ा दिया है। योगी सरकार में श्रम मंत्री का जिम्मा संभाल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने मंगलवार को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के इस्तीफा देने के बाद से भाजपा में इस्तीफा देने वालों की झड़ी लग गई। तिंदवरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक बृजेश प्रजापति और तिलहर से विधायक रोशन लाल ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है पार्टी से पलायन कर रहे नेताओं का टिकट कटना तय था। वहीं भाजपा में प्रत्याशियों के चयन को लेकर मंथन भी शुरू हो गया है।
दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं। pic.twitter.com/ubw4oKMK7t
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) January 11, 2022
नीति, नियत और नैतिकता पर राजनीति तो खूब होती है, मगर अवसरवाद की राजनीति में इन तीनों बातों का कोई मतलब नहीं रह गया है। कौन नेता कब किस पार्टी का दामन थाम लें, कुछ कहा नहीं जा सकता। चुनावी माहौल में उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी यही हो रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की आत्मा सरकार का कार्यकाल खत्म होने पर क्यों जगी है। सवाल यह भी है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्या बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा से सांसद है। जिस पार्टी में चुनाव के समय पिता स्वामी प्रसाद का दम घुटने लगा, उसी पार्टी में उनकी बेटी संघमित्रा को कोई दिक्कत नहीं है।
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भाजपा के लिए बड़ा झटका
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का दामन छोड़कर यह साबित कर दिया है कि उनके लिए दल नहीं बल्कि सीट जरूरी है। शायद यही वजह है कि वह पांच बार से विधायक चुने जाते रहे हैं। मौजूदा समय में वह पडरौना विधानसभा सीट से विधायक हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य 1980 के दशक से उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना सिक्का जमाए हुए हैं। वह पिछड़े समाज के कद्दावर नेता भी हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले उनका पार्टी छोड़ना भाजपा के लिए किसी तगड़ा झटका माना जाएगा। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के पार्टी छोड़ते ही भाजपा में पिछड़ों की जिस तरह गुटबाजी दिख रही है, उससे यही लग रहा है कि आगे चलकर भाजपा को अभी और झटके लग सकते हैं।
सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!
सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा#बाइसमेंबाइसिकल pic.twitter.com/BPvSK3GEDQ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 11, 2022
सपा में हो सकते हैं शामिल
स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के साथ अपनी तस्वीर को साझा करके यह संकेत दे दिया है कि वह कहीं और नहीं बल्कि उनकी ही पार्टी में आने वाले हैं। अखिलेश यादव ने फोटो शेयर करते हुए स्वामी हालांकि पार्टी छोड़ना स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के लिए कोई नई बात नहीं है। वह लोकदल से बसपा, फिर भाजपा और अब सपा में आ गए हैं।
कौन हैं स्वामी प्रसाद (who is Swami Prasad Maurya)
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) 5 बार से विधायक रह चुके हैं। मौजूदा समय में वह उत्तर प्रदेश के पडरौना विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह वर्ष 2012 से 2016 तक यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं वह बसपा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्ष 2017 यूपी विधानसभा चुनाव (2017 UP Assembly Elections) से पहले उन्होंने बसपा का दामन छोड़कर 8 अगस्त, 2016 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। बसपा छोड़ते समय उन्होंने पार्टी सुप्रीमो मायावती पर चुनावी टिकटों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया था।
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