नई दिल्ली। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और प्रसारित हो रही निराधार खबरों को लेकर केंद्र सरकार अब एक्शन मोड में गई है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी देते हुए कहा है कि कोर्ट या सरकार अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से शरारती संदेशों के बारे में जानकारी मांगती है तो वह देना होगा। इसमें सबसे पहले पोस्ट करने वाले यूजर की भी डिटेल देनी पड़ेगी। साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि किसी भी सोशल मीडिया यूजर के कंटेंट को निष्क्रिय करने से पहले उसे कारण बताने होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का स्वागत है, लेकिन इसमें दोहरे मापदंड नहीं अपनाने चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कैपिटल हिल पर हमला होता है, तो सोशल मीडिया पर पुलिस की कार्रवाई का समर्थन होता है, लेकिन जब लाल किले पर बवाल होता है, तो पुलिस को बदनाम करने की कोशिश होती हैं। यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट कि सोशल मीडिया को लेकर बनाए गए कानूनों को 3 महीने के अंदर लागू किया जाएगा, ताकि इसमें समय से सुधार किया जा सके। बाकी नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद से लागू हो जाएगा।

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इसमें फेसबुक, ट्विटर सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शिकायत निवारण तंत्र रखने का आदेश दिया गया है। इसके तहत इन सभी को एक शिकायत अधिकारी का नाम देना अनिवार्य है जो शिकायत को 24 घंटे के अंदर दर्ज करें और 15 दिनों में इसका निवारण भी करें। इतना ही नहीं इन नए दिशानिर्देश में सभी ओटीटी प्लेटफार्मों पर सामग्री के खुद से क्लासिफाइड करना भी आवश्यक करते हैं। इस बात की जानकारी प्रकाश जावड़ेकर ने दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए 13+, 16+ और A (अडल्ट) श्रेणियां निर्धारित की जाएंगी। पत्रकारों को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि माता-पिता का एक तंत्र होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे ऐसे वीडियो को न देखें जो उनके लायक न हों।

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