रवींद्र प्रसाद मिश्र

Samajwadi Party News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में सबकुछ ठीकठाक नहीं है। एक तरफ जहां पार्टी के नेता बीजेपी में जगह तलाश रहे है, वहीं दूसरी तरफ अखिलेश (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व पर सवाल भी उठा रहे हैं। शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) सपा में भले ही सेट हो गए हैं, लेकिन उनके समर्थक आज भी हाशिए पर बने हुए हैं। सपा के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद से शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) अपने साथियों को पार्टी में लगातार एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी टीम में शिवपाल के समर्थकों शामिल न किए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक बार फिर चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के साथ धोखा किया है। 182 सदस्यीय प्रदेश कार्यकारिणी कमेटी में शिवपाल यादव के मात्र सहयोगियों को जगह मिल पाई है। ऐसे में शिवपाल यादव के करीबी खुद को ढगा सा महसूस कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक सपा के 182 सदस्यीय प्रदेश कमेटी में शिवपाल यादव के पांच सहयोगियों को ही जगह मिल सकी है। इनमें से तीन सचिव, एक सदस्य और एक आमंत्रित सदस्य बनाया गया है, जिसमें ललन राय, अशीष चौबे और प्रेम प्रकाश वर्मा को सपा का प्रदेश सचिव, मंटू काजी को प्रदेश सदस्य और सूरज सिंह (गामा यादव) को अमंत्रित सदस्य बनाया गया है। दिलचस्प है कि शिवपाल यादव के किसी भी करीबी नेता को न तो महासचिव और न ही उपाध्यक्ष बनाया गया है। गौरतलब है कि 2017 विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच जो तल्खी बढ़ी थी, वह अभी भी बरकरार है। हालांकि समाजवादी पार्टी के वजूद को बचाने के लिए शिवपाल यादव ने अपने वसूलों के साथ समझौता कर सपा में तो शामिल हो गए, लेकिन उन्हें वह सम्मान अभी तक नहीं मिल सका है, जिसके वह हकदार हैं।

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मैनपुरी उपचुनाव के बाद चाचा शिवपाल और अखिलेश यादव ने आपसी गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ आ गए। शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय करते हुए आजीवन साथ रहने का एलान कर दिया। अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर उन्हें सम्मानित किया, लेकिन उनके करीबी नेताओं का आज भी राजनीतिक कद हाशिए पर बना हुआ है। आलम यह है कि शिवपाल के करीबी नेताओं को न तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तरजीह मिली और न ही सपा प्रवक्ताओं की टीम में शामिल किया गया। सूत्रों की मानें तो शिवपाल को अपने करीबी नेताओं को पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में समायोजित किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन 13 अगस्त को प्रदेश टीम के एलान के साथ ही यह भी टूट गई। सपा के प्रदेश सगंठन में शिवपाल के करीबी नेताओं कोई खास तवज्जों नहीं दिया गया। पार्टी सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव ने अखिलेश को अपने 20 करीबी नेताओं की लिस्ट प्रदेश संगठन में शामिल किए जाने के लिए सौंपी थी, जिनमें से मात्र 5 सदस्यों को ही जगह मिल सकी है।

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