Prerak Prasang: एक बार एक राजा ने अपने दरबारी मंत्रियों से पूछा, प्रजा के सारे काम मैं करता हूँ, उनको अन्न मैं देता हूँ, रोजगार मैं देता हूँ। उनकी बेटियों के विवाह मैं कराता हूं, सुरक्षा मैं देता हूँ, हर काम मैं करता हूं। तो ये लोग आरती भगवान की क्यों करते है। मेरी पूजा, मेरी आरती क्यों नही उतारते। फिर ऐसा और कौन सा काम है जो सिर्फ भगवान कर सकता है, मैं नही कर सकता। मुझे भगवान के काम बताओ।

मंत्रियों ने कहा, महाराज इस प्रश्न का उत्तर तो कोई साधु महात्मा ही दे सकता है, उन्हीं का भगवान से परिचय रहता है। राजा ने कहा, तो जाओ किसी महात्मा को यहाँ दरबार में लेकर आओ। जो मेरे इस प्रश्न का उत्तर दे सके। पूरे राज्य में महात्माओं की खोज हुई। राज्य की सीमा पर एक सिद्ध महात्मा की कुटिया थी। मंत्रियों ने जाकर महात्मा से राजा के प्रश्न का उत्तर पूछा। महात्मा ने कहा मैं कल स्वयं दरबार में आकर राजा को उत्तर दूंगा।

मंत्रियों ने वापस आकर राजा को सूचना दी कि कल महात्मा स्वयं दरबार में पधारेंगे। अगले दिन महात्मा दरबार में पहुँचे और राजा को देख कर 3 बार हाथ उठा कर प्रणाम कर दिया, जोकि एक राजदरबार की मर्यादा परंपरा होती है। राजा ने महात्मा से अपना प्रश्न पूछा, महात्मा ने कहा राजन आपके प्रश्न का उत्तर तो मैं दे दूं किंतु आपको पूछना तो आता नहीं। राजा ने कहा क्या मतलब, महात्मा बोले, मतलब यह की जिससे ज्ञान लिया जाता है वो गुरु होता है, और गुरु को सदैव उच्च आसन पर बैठाया जाता है। पर यहाँ तो तू खुद ऊँचे आसान पर बैठा है। पहले मुझे अपना आसान दे, राजा ने महात्मा को अपना आसान दे दिया।

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राजा बोला, अब बताइए गुरुजी, महात्मा बोले इस अहंकार रूपी मुकुट को पहले उतार खाली हो तभी तो ज्ञान मिलेगा। राजा ने मुकुट भी उतार कर महात्मा को दे दिया। राजा बोला,अब बताइए, महात्मा ने कहा, पहले गुरुजी को प्रणाम तो कर, राजा ने महात्मा को हाथ उठा कर 3 बार प्रणाम कर दिया। राजा ने कहा अब तो बता दीजिए। महात्मा ने कहा, अब भी कुछ बताने को शेष बचा है क्या। तेरी समझ मे अभी तक नहीं आया, राजा बोला क्या मतलब?

महात्मा ने कहा, देख 2 मिनट पहले मैं तेरे दरबार में आया था, तो ऊँचे सिंघासन पर बैठा था। मुकुट तेरे सिर पर था और मैं तुझे नीचे खड़े होकर हाथ उठा कर प्रणाम कर रहा था। अब 2 मिनट बाद मैं सिंघासन पर बैठा हूँ मुकुट मेरे सिर पर है और तू नीचे खड़े होकर मुझे प्रणाम कर रहा है। भगवान बस यही काम करता है। पल में राजा को रंक कर देता है और रंक को राजा कर देता है। यह काम केवल भगवान कर सकते है तू नहीं।

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