नई दिल्ली: राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रथानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीनेशन के उत्पान और लगवाने की प्रथमिकता पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने वैक्सीनेशन की रूपरेखा दी। डब्ल्यूएचओं के मानके के अनुरूप देश में वेक्सीनेशन शुरू किया गया। इसके बाद तय किया गया कि जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है उन्हें पहले वैकसीन दी जाए। इसमें हेल्थ से जुड़े लोगों को पहले वैक्सीन दी गई। आप समझ सकते हैं कि फर्स्ट लाइन के वर्करों को कोरोना की वैक्सीन न लगी होती तो क्या होता। हमारे डॉक्टर्स, नर्सें, पुलिस कर्मियों को वैक्सीन न लगी होती तो क्या होता। केंद्र ने राज्यों को कोरोना की रोकथाम के लिए कुछ नियम बनाकर दिये। कोरोना काल में कोरोना कर्फ्यू लगाने आदि राज्यों की मांग को केंद्र सरकार ने अनुमति दी। उन्होंने वैक्सीनेशन पर राज्यों की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार की मांग को प्राथमिकता दी गई। वहीं वैक्सीनेशन पर विपक्ष और मीडिया के एक धड़े की तरफ से वैक्सीनेशन पर सवाल उठाने के लिए कैंपेन चलाने का भी जिक्र किया।


वैक्सीनेशन पर राज्यों की मांग को देखते हुए 1 मई को राज्यों को 25 प्रतिशत काम दे दिया गया। उन्होंने कहा कि मई में हमने देखा कि कोरोना की दूसरी लहर, वैक्सीनेशन आदि को हमने देखा। वैक्सीनेशन के लिए राज्यों की अपनी मांग रही। लेकिन बाद में सभी ने माना कि पहले की व्यवस्था ही ठीक थी। उन्होंने कहा कि वैक्सीनशन पर 25 प्रतिशत कि जो जिम्मेदारी राज्यों पर थी उसे भी अब भारत सरकार संभालेगी। उन्होंने कहा कि 21 जनू से देश के सभी राज्यों के 18 वर्ष से ऊपर वालों को फ्री वैकसीनेशन कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की खरीद पर 75 प्रतिशत का भुगतान करके केंद्र सरकार सभी राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराएगी।

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उन्होंने कहा पिछले बार जब देश में लॉकडाउन लगाया गया था तो केंद्र सरकार की तरफ से देश के 80 करोड़ से अधिक परिवारों को 8 महीने तक मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया था। इस बार भी मुई—जून में यह व्यवस्था दी गई। लेकिन भारत सरकार ने अब यह फैसला किया है कि देश की 80 करोड़ से ऊपर की जनता को दिवाली तक राशन दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग कोरोना की वैक्सीन को लेकर अफवाह फैलाने में लगे हैं, वह देश के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जनता इनकी भावना को समझ रही है।

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