भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी उल्लास में पंजाब को 48 हजार की विकास योजनाओं की सौगात देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री कल भटिंडा की यात्रा पर थे। इस यात्रा में पंजाब की कांग्रेसी सरकार की साजिश दुनिया ने देखी। यह वही पंजाब है जहां से खालिस्तान जैसे मुद्दे को राजनीति में भिंडरावाला जैसा आतंकी देकर इसी कांग्रेस ने इंदिरा गांधी जैसी सशक्त प्रधानमंत्री की बलि दे दी। भिंडरवाला के माध्यम से ऐसा ही खेल तब भी खेला गया था। दक्षिण भारत में इसी तरह का खेल खेल कर कांग्रेस ने राजीव गांधी जैसे उदीयमान नक्षत्र को खोया। आज के पंजाब में फिर कांग्रेस वैसा ही भयावह खेल खेल रही है। अपनी स्वाधीनता के मात्र 75 वर्षों में दो दो प्रधानमंत्री खो चुके देश की राजनीति आखिर कब अपना मूल्यांकन करेगी। भिंडरवाला और प्रभाकरण के इतिहास से दुनिया परिचित है।
दुर्भाग्य यह है कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री के विरुद्ध षड्यंत्र की क्रियाविधि से कांग्रेस बाज नहीं आ रही। उसको अभी तक यह आभास ही नहीं हो सका है कि जिस नरेंद्र मोदी को वह खून का सौदागर कहती रही है, वह नरेंद्र मोदी केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के प्रत्येक सनातन संस्कृति वाले व्यक्ति के दिल में सनातन की स्थापना के युद्ध में एक महायोद्धा बन कर स्थापित हो चुके हैं। नरेंद्र मोदी जिस रूप में नए सनातन भारत का निर्माण कर रहे हैं, उनके साथ सभी दैवीय शक्तियां खड़ी हैं। कल भटिंडा में जो हुआ यदि भारत के ही किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री के साथ हुआ होता, तो अब तक पंजाब की सरकार बर्खास्त होकर वहां रात से ही राष्ट्रपति शासन स्थापित हो चुका होता। नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है। जबकि कथित किसान आंदोलन के समय से ही अनेक ऐसे प्रमाण मौजूद हैं। ऐसे अनेक वीडियो हैं जिनमें पंजाबी पगड़ी में कथित किसान यह कहता दिख रहा है कि हमने इंदिरा को खत्म कर दिया और इसे भी करेंगे। यह अलग बात है कि शाहीन बाग से लेकर कथित किसान आंदोलन और लालकिले पर खालिस्तानी झण्डे की घटनाओं तक में जो कारवाई होनी चाहिए थी वैसी होती नहीं दिखी।
दरअसल कांग्रेस ने देश को 1946 में पहुँचा दिया है। अंग्रेजों की उत्तराधिकारी के रूप में फूट डालो, राज करो। विभाजन और राजनीति। खास तौर पर संगठित हिन्दू समाज को पहले सिख, जैन, बौद्ध आदि में तोड़ा और अब उससे भी नीचे की हरकतें। जब चुनाव आते हैं, इनकी ये हरकतें हर बार से नीचे की होने लगती हैं। अभी बीते साल बंगाल में सबने देखा है। महाराष्ट्र में इनके राज में सन्तों को जिंदा जला कर मार डालने की घटना को बहुत दिन नहीं बीते हैं। पहले बंगाल, अब पंजाब। इन्हें अभी आभास भी नहीं है कि जो कल हुआ, वह मोदी जैसे महायोद्धा के लिए अब नई शक्ति के साथ लड़ने की ऊर्जा देने वाला है। पहले किसान आंदोलन के नाम पर आतंक और पंजाब के हालात ऐसे कि देश के प्रधानमंत्री को अपनी जनसभा के स्थान तक न पहुंचने दिया जाय? सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि पंजाब में प्रदर्शनकारी पीएम की सुरक्षा घेरे के इतने पास आ गए थे कि SPG को गोली चलाने की इजाजत मांगनी पड़ी। मोदी को जब बिगड़ते हालात का अंदाजा हुआ, तो उन्होंने एसपीजी को रोंका और वापस लौटने के आदेश दिए।
अब यकीनन सोचने और निर्णय लेने का समय है कि सनातनता रहेगी या विधर्मी आतंकवाद। कैसे न माना जाय कि पंजाब की वर्तमान सरकार चीन और पाकिस्तान के निर्देश से संचालित हो रही है। कैसे न मान लिया जाय कि आज पृथ्वी पर वर्तमान में सनातन के सबसे बड़े योद्धा को मारने की ही साजिश थी? भारत के लिए और खासकर सनातन भारत के लिए आज की यह साजिश अक्षम्य है। पंजाब में ऐसी भारत विरोधी सरकार को एक मिनट भी बने रहने नहीं देना चाहिए। यह इस तथ्य का भी प्रमाण है कि चुनाव के नाम पर कांग्रेस और अन्य कई दल निश्चित रूप से किसी भारतीय शत्रु देश से सहयोग ले रहे हैं। पंजाब के हालात तो बंगाल और कश्मीर से भी बहुत बदतर हैं, यह प्रमाणित हो गया।
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वास्तविकता यह है कि वर्तमान में कांग्रेस के आलाकमान वाला जो परिवार है उसका इतिहास ही यही है। याद होगा सभी को। बात बहुत पुरानी नहीं है हकूमत राय बढेरा कराची में रहता था भारत विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ मुरादाबाद आ गया। लड़का राजेन्द्र बढेरा ने शादी एक विदेशी कैथोलिक से की, जिससे दो लड़के और एक लड़की का जन्म हुआ। राजेन्द्र की पत्नी ने लड़कों का नाम राबर्ट और स्टिफन रखा। प्रियंका का प्यार राबर्ट से सेन्ट स्टिफेन्स में शुरू ही हुआ था, कि जयपुर अजमेर रोड पर राबर्ट की बहन की रोड एक्सीडेन्ट में मौत हो गई। संदिग्ध मौत थी, लेकिन रोड एक्सीडेन्ट के कारण बात आयी-गयी हो गई। कुछ दिन बाद स्टिफन ने फांसी लगा ली। ये मौत भी संदिग्ध थी, फिर इस मौत को भी भुला दिया गया। फिर कुछ दिन बाद राजेन्द्र बढेरा का शव दिल्ली के पहाड़गंज इलाके के एक होटल में बेल्ट से पंखे में झूलता हुआ मिला। ये भी संदिग्ध था, लेकिन इसको भी आत्महत्या का केस बनाकर मामला खत्म कर दिया गया। फिर इसके बाद वह शुभ दिन आया जब राबर्ट की शादी प्रियंका से तय हो गई। विवाह का सारा जिम्मा पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी में कार्यरत महिला अधिकारी को दिया गया, जो प्रियंका और राबर्ट की कामन फ्रेंड थी। यह रक्त रंजित इतिहास संजय गांधी की मौत से शुरू होकर राजेन्द्र बढेरा पर रुका। सब ठीक चल रहा था कि एक दिन अचानक सत्ता का केन्द्र नरेन्द्र मोदी बन गये। परिवार और पार्टी इस बात को अब तक पचा नहीं पाई है।
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पीएम मोदी की कल की यात्रा पंजाब में थी। सड़क मार्ग से प्रधानमंत्री को कुछ दूर जाना था, लेकिन इसी बीच आन्दोलनकारी के रूप में कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री को रास्ते में ही घेर लिया, हो सकता है ISI के एजेन्ट ही आन्दोलनकारी के रूप में रहे हों। पंजाब के सहारे पहले भी देश को खालिस्तान आन्दोलन की भेंट चढ़ाने की कोशिश की गई। सिखों को उकसा कर किसान आन्दोलन के जरिये देश में पूरे एक साल तक गतिरोध पैदा किया गया। अभी हाल ही में बेअदबी पर हत्याएं और कोर्ट परिसर में बम विस्फोट और आज की ताजा तरीन घटना प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध। प्रधानमंत्री को यहां तक कहना पड़ गया कि ‘अधिकारी पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री को बता दें कि किसी तरह जान बचाकर मैं वापस दिल्ली आया हूँ।’ अब घृणा हो रही है ऐसे विपक्ष से। जब देश की सीमा पर चीन से तनाव होता है तो उसका नेता चीनी दूतावास में विमर्श करने जाता है। जब संसद चलती है तो उसका या तो पता नहीं रहता या विदेश में होता है। देश के लिए विदेशी मंचों पर जहर उगलने का तो जैसे ठेका ही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)