नई दिल्ली: जो कुछ करता नहीं वह अक्सर दूसरों में कमियां निकालकर खुद को बेहतर साबित करने का प्रयास करता रहता है। देश में इन दिनों विपक्ष की हालत भी कुछ इसी तरह की हो गई। लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद, गरीब-गुरबा को उनका हक दिलाने नाकाम रहने वाले दल के नेता में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं को अपना बताकर श्रेय लेने की होड़ लग गई है। महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश होते ही कांग्रेस, समाजवादी, आरजेडी सहित कई दलों की तरफ से सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इस बिल को अपना बताने की कोशिश की गई। कोशिश करनी भी चाहिए क्योंकि नेताओं में दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी के चलते यह बिल लंबे समय से अटकी हुई है। वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में दावा किया कि संविधान की नई प्रति की प्रस्तावना में ‘समाजवादी धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं है। बता दें कि हर बात पर विवाद खड़ा करना कांग्रेस व विपक्ष की फितरत हो गई है। अधीर रंजन के इस दावे को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है। क्योंकि परीक्षा सभी देते हैं, लेकिन चर्चा हमेशा सफल छात्र की होती है। जबकि असफल छात्र भी सफल होने के लिए पूरी तैयारी व मेहनत करते हैं।

अधीर रंजन ने कहा कि संविधान की जो नई प्रतियां उन लोगों को दी गई हैं, जिसे उन ने लेकर (नए संसद भवन) में प्रवेश किया था. उसमें इसकी प्रस्तावना में ‘समाजवादी धर्मनिरपेक्ष’ शब्द है। उन्होंने कहा कि वे लोग जानते हैं कि ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद संविधान में जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द गायब हैं। उन्होंने सरकार के इरादे पर संदेह खड़े करते हुए चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसा बड़ी चतुराई से किया गया है। जो मेरे लिए चिंता का विषय है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संसद में इस बारे में मैंने बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया।

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गौरतलब है कि मंगलवार को संसद के नये भवन में पहली बार सदन की कार्यवाही हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विभिन्न पार्टियों के सांसदों ने नये संसद भवन में प्रवेश किया था और नये संसद भवन में संसद की कार्यवाही भी चली थी। सदन की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक सरकार की तरफ से पेश किया गया। लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह विधेयक पास होने के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहलाएगा।

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