राममूर्ति मिश्र
Mulayam Singh Yadav: समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब हमारे बीच नहीं रहे। बचा है तो उनका अतीत, उनकी यादें। यादों के झरोखे से देखा जाए तो मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का अतीत संघर्षों से भरा पड़ा है। उसे शब्दों में संजोना इतना आसान भी नहीं है। एक साधारण शिक्षक से उत्तर प्रदेश की सियासत के शिखर तक का उनका सफर न सिर्फ यादगार है, बल्कि प्रेरणादायक है। उनपर कई आरोप भी लगे, बावजूद इसके वह अपने संघर्षों के बदौलत सफलता की सीढ़ियां चलते चले गए। उन्हें अयोध्या में कारसेवकों का हत्यारा कहा गया, तो धरती पुत्र, नतेाजी आदि नामों से सम्मानित भी किया गया।
जीवन के साथ राजनीति में भी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। इन उतार-चढ़ाव के बीच अगर संघर्षों की बात की जाए तो मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा। दलित, पिछड़ों और शोषित वर्ग की लड़ाई से राजनीति में कदम रखने वाले मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) बहुत ही कम समय में इनके मसीहा बनकर उभरे और देखते ही देखते जन-जन में लोकप्रिय नेता बन गए। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के कर्म, जीवन संघर्ष, कर्तव्यनिष्ठा सदैव प्रेरणा देगी, इसमें संदेह नहीं। सियासत में उनका रास्ता कभी आसान नहीं रहा।
नई पीढ़ी को मिलेगी मुलायम (Mulayam Singh Yadav) से सीख
उन्होंने पथरीली जमीन पर कड़े संघर्ष के बीच अपना रास्ता चुना और शून्य से शिखर पर पहुंचे। कठिन परिस्थितियों में विचलित नहीं हुए। पहलवानी में चरखादांव के लिए प्रसिद्ध मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की हत्या की भी साजिश हुई, किन्तु वे बाल-बाल बच गए। नयी पीढ़ी को उनसे सीखना चाहिए कि राजनीति के लिए रुपया-पैसा नहीं, बड़े हौसले की जरूरत होती है। राममंदिर आंदोलन के दौरान मुलायम सिंह यादव पर कारसेवकों पर गोली चलवाने का कलंक लगा। इसे उन्होंने सार्वजनिक मंच से स्वीकार भी किया। मुलायम सिंह यादव को कहना था कि अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी था।
कलंक से मिला सफलता का रास्ता
यह वह दौर था जब राम जन्मभूमि आंदोलन अपने चरम पर था। लोग मंदिर निर्माण के लिए आतुर थे। बावजूद, इसके मुलायम सिंह यादव ने एक वर्ग का साधने के लिए सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतरवा दिया। कहा जाता है उस समय सरयू का पानी लाल हो गया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। माना जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव के सियासत का अंत हो जाएगा। लेकिन एक तरफ जहां हिंदू खेमा मुलायम सिंह से नाराज चल रहा था, वहीं वह यादव और मुस्लिमों के सबसे बड़े नेता बन गये।
आरोप सफलता के प्रमाण बन गए
समाजवादी पार्टी में एम वाई फैक्टर इस कदर हावी हुआ कि मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के साथ देश के रक्षा मंत्री भी बने। जिस घटना के बाद उनकी सियासत का अंत माना जा रहा था, उसी घटना ने उनका कद इतना बढ़ा दिया कि हार जैसा शब्द उनके रास्ते से ही हट गया। मुलायम सिंह यादव पर जातिवाद, धर्मवाद, तुष्टिकरण, अपराधियों का संरक्षण देने आदि कई गंभीर आरोप लगे। ये सारे आरोप अनके रास्ते के बाधक नहीं बन पाए, लेकिन नेताजी के सफलता और कुशलता के प्रमाण जरूर बन गए।
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