
कृष्णमोहन झा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गत दिवस पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले की जितनी भी निंदा की जाए कम है। जिस तरह वहां पर्यटकों की चुन चुनकर नृशंस हत्या की गई उसके लिए जिम्मेदार आतंकियों को जितनी भी कठोर सजा दी जाए वह कम ही मानी जाएगी। इस भयावह घटना से सारा देश शोकाकुल है। देश के विभिन्न भागों के जो पर्यटक परिवार पहलगाम से अपने दिलों पर जिंदगी भर न मिटने वाला घाव लेकर लौट रहे हैं उनके दुख की तो कल्पना भी कठिन है। विश्व के अनेक राष्ट्राध्यक्षों ने इस आतंकी हमले की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह भरोसा दिलाया है कि वह इस हमले से उपजी परिस्थितियों में भारत सरकार के द्वारा उठाए जाने वाले हर कदम में उसके साथ हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम हमले के बाद साउदी अरब का प्रवास बीच में ही समाप्त कर स्वदेश लौटने का जो फैसला किया उससे यह संदेश मिला कि प्रधानमंत्री मोदी पहलगाम में हुए बर्बरतापूर्ण कायराना हरकत करने वाले आतंकवादियों को कठोरतम सबक सिखाने के लिए कृतसंकल्प होकर विदेश प्रवास अधूरा छोड़ कर लौटे हैं। प्रधानमंत्री के भारत लौटते ही जिस तरह उच्च स्तरीय बैठकों का लंबा दौर चलने के बाद कुछ ऐसे कदम उठाए गए हैं जिनसे पाकिस्तान घबरा उठा है। परन्तु अभी भी वहां के हुक्मरान बड़ी बेशर्मी के साथ यह बयान दे रहे हैं कि पहलगाम के आतंकी हमले में उनके देश का कोई हाथ नहीं है। जबकि प्रारम्भिक जानकारी के अनुसार पहलगाम के आतंकवादियों को पाकिस्तान से निर्देश दिए जा रहे थे।
आतंकवाद की इस वीभत्स वारदात के बाद पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति का भले ही अभी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह बयान कि आतंकियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। उन्हें कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी, सरकार के मजबूत इरादों की अभिव्यक्ति कर रहा है। पाकिस्तान को कठोरतम सबक सिखाने की मंशा से केंद्र सरकार जो भी कारवाई करेगी उसमें सारा देश उसके साथ है। निकट भविष्य में ही पाकिस्तान के विरुद्ध किसी बहुत बड़ी कार्रवाई की सारा देश व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहा है।
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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में मिनी स्विट्जरलैंड को अपनी कायराना हरकत का निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने वह दिन चुना जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति अपने चार दिवसीय प्रवास पर भारत पहुंच चुके थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनसे भेंट करने के बाद घटना के एक दिन पूर्व ही साऊदी अरब के प्रवास पर रवाना हुए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि आतंकियों ने पहलगाम में खून खराबे के लिए यह वक्त इसलिए चुना ताकि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल जा सके। यह भी पहली बार हुआ कि आतंकियों ने पर्यटकों को अपना निशाना बनाया। इसका मतलब साफ है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग को तहस नहस करने के इरादे से यह हमला किया गया। इसीलिए आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की ऐसी निर्ममता के साथ हत्या कर दी।
पहलगाम में हुई बर्बर वारदात के बाद वहां मौजूद सैकड़ों अन्य पर्यटक तत्काल ही अपने अपने गृहनगर के लिए रवाना हो गए। देश के अन्य भागों से निकट भविष्य में जो पर्यटक पहलगाम आने का कार्यक्रम बना चुके थे। उन्होंने भी अपनी यात्रा रद्द करने का फैसला कर लिया है। दो महीने बाद होने वाली अमरनाथ यात्रा के पंजीयन में भी कमी आ चुकी है।अब इन आशंकाओं को बेबुनियाद नहीं ठहराया जा सकता कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाने वाला पर्यटन उद्योग को फिर से फलने फूलने में अब लंबा वक्त लगेगा।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
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