नई दिल्ली। निजीकरण को लेकर रेल मंत्रालय चाहे जितनी सफाई दे, लेकिन उसकी नयी नीतियों के कारण रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले लाखों की संख्या में कार्यरत लाइसेंसीस व वेंडरों के सामने बेरोजगारी का संकट मंडराने लगा है। अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन ने वेंडरों को बेरोजगार होने से बचाने के लिये रेल मंत्रालय से तुरंत कदम उठाने की गुहार लगायी है। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्दर गुप्ता ने कहा है कि रेलमंत्री स्वयं संसद में घोषणा कर चुके हैं कि रेल का निजीकरण नहीं होगा। हालांकि 150 ट्रेनों का निजीकरण कर 2024 में चलाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। रेलवे स्टेशनों के लिये निविदाएं आमंत्रित की जा रही हैं। इसी तरह हबीबगंज रेलवे स्टेशन का पूर्णतया निजीकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुये स्पष्ट हो गया है कि रेलमंत्री का संसद में दिया गया बयान देश के साथ धोखा है। रविन्दर गुप्ता ने कहा कि खान-पान व्यवस्था बड़ी कंपनियों के हवाले की जा रही है। छोटे खान पान लाइसेंसीज की समस्याओं को सरकार नजरअंदाज कर रही है। अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन सरकार से मांग करती है कि वह अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करें और खानपान लाइसेंसीज व वेंडर के कार्य को सुरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाए, जिससे कि गरीब एवं मध्यम वर्ग के यात्रियों को स्वच्छ एवं गर्म खानपान की सुविधा जारी रह सके।

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उन्होंने कहा कि भारतीय रेल में यात्रा करने वाले लगभग 85 प्रतिशत रेल यात्री मध्यम एवं गरीब वर्ग से होते हैं, जिनकी पसंद गरम पूरी, पकोड़ा, गर्म चाय जैसे खानपान के पदार्थ ही होते हैं। गुप्ता ने कहा कि वर्षों से चाय के रेट नही बढ़ाये गये, जबकि बाजार में चाय मेटेरियल के रेट बढ़ गये, रेलवे ने लाइसेंस फीस कई गुना बढ़ा दी, 18 प्रतिशत हेज लगा दिया और अब 5 रुपये मूल्य की चाय के साथ 2 रुपये का कुल्हड़ फ्री देना पड़ रहा है। यानी रेलवे प्रशासन के आदेशानुसार चाय का रेट 3 रुपये रह गया है। हम चाय वाले प्रधानमंत्री से अनुरोध कर रहे है कि रेल मंत्रालय के तुगलकी आदेशों पर तुरंत रोक लगाये। उन्होंने कहा कि 2012 की रेट लिस्ट के आधार पर छोटे खान पान लाइसेंसिज आज भी खान पान की वस्तुएं बिक्री कर है। अखिल भारतीय रेलवे खान पान लाइसेंसिज वेल्फेयर एसोसिएशन प्रधानमंत्री एवं रेलमंत्री से विनम्र अनुरोध करती है कि वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिकोण में रखते हुए नई रेट लिस्ट शीघ्र अतिशीघ्र जारी की जाय।

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