Manipur Violence: हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर को शांत कराने की पूरी कोशिश जारी है। यह रह-रह कर भड़क रही हिंसा बड़ी चुनौती बनी हुई है। राज्य में हिंसा पर काबू पाने के लिए कई जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है। इटरनेट सेवा ठप है। मणिपुर में शांति बहाली के लिए सरकार सेना को मोर्चे पर लगा रखी है। इस बीच यहां एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है। सेना को कांगलेई यावोल कन्ना लुप (KYKL) के 12 उग्रवादियों को महिलाओं की भीड़ की वजह से मजबूर होकर छोड़ना पड़ गया।

जानकारी के मुताबिक सुरक्षा बलों ने कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 उग्रवादियों को एक गांव में घेर लिया था, इसी बीच महिलाओं की अगुवाई में करीब 1500 लोगों की भीड़ सेना के सामने आ गई। भीड़ को देखते हुए सुरक्षाबलों को उन 12 उग्रवादियों को छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा था। इन 12 उग्रवादियों में मोइरंगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था। मोइरंगथेम तम्बा वर्ष 2015 में सुरक्षाबलों पर हुए हमले का मास्टरमाइंड है, जिसमें 18 जवानों की मौत हुई थी।

इम्फाल में डिफेंस पीआरओ के मुताबिक सुरक्षा बलों के जवानों ने भीड़ को हटने के लिए बार-बार अपील की, लेकिन लोग पीछे नहीं हटे। भीड़ की जिद के सामने सुरक्षाबलों को अंत में मजबूर होकर उग्रवादियों को छोड़ना पड़ गया। फिलहाल सुरक्षाबलों ने उग्रवादियों के पास से मिले बड़ी मात्रा में हथियारों को जब्त कर लिया है। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब उग्रवादियों को बचाने के लिए महिलाएं सामने आई। इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।

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बता दें कि राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई। राज्य के कई जिलों में हिंसक आगजनी के साथ हमले और जवाबी हमले हो रहे हैं। हालत इतना बेकाबू हो गया है कि हिंसा प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। अब तक करीब 9000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हिंसा पर काबू पाने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ को तैनात किया गया है। सेना और असम राइफल्स ने गुरुवार को चुराचांदपुर और इंफाल घाटी के कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया और काक्चिंग जिले के सुगनु में भी फ्लैग मार्च किया गया।

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