रविंद्र प्रसाद मिश्र
लखनऊ। राजनीति के क्षेत्र में टीएमसी मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का कद अब काफी ऊंचा हो चला है। वह बंगाल की सियासत की सबसे बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरीं हैं। इन सबके बावजूद भी सादगी ही उनकी पहचान बन गई है। एक बार फिर से ममता बनर्जी ने आज पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली है। कोरोना वायरस के खतरों के चलते शपथ ग्रहण कार्यक्रम काफी सामान्य तौर पर संपन्न हुआ। गौरतलब है कि सादे लिबास में रहने वाली ममता की जिंदगी भी उन्हीं की तरह एकदम सादगी पूर्ण है।
सादगी भरी है जिंदगी
पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर ममता पर चाहे जो आरोप लगाए जा रहे हों, लेकिन उनकी असल जिंदगी सादगी भरी है। सफेद साड़ी और हवाई चप्पल उनकी पहचान बन चुकी है। लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने बावजूद भी वह आज भी सामान्य महिला कि तरह जिंदगी बिताती हैं। जबकि विधायक से लेकर सांसद तक, कैबिनेट मंत्री से लेकर इस बार तीसरी बार मुख्यमंत्री का दायित्व संभाल रही हैं। उनकी सादगी की वजह से बंगाल की जनता लगातार उनपर विश्वास भी जताती आ रही है।
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मुख्यमंत्री के सैलरी तक नहीं लेतीं
सीएम ममता बनर्जी कि जिंदगी के बारे में कई तरह कि अफवाहें हैं। जबकि सच इससे परे हैं, एक सामान्य बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मीं ममता बनर्जी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में बताया था कि वह पूर्व सांसद रहने के बावजूद भी पिछले सात वर्षों से पेंशन तक नहीं ले रही हैं। जबकि पूर्व सांसद और मंत्री रहने के नाते वह पेंशन की हकदार हैं। इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी वह मुख्यमंत्री को मिलने वाली सैलरी नहीं लेतीं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वह सरकार का लाखों रुपया बचा लेतीं हैं। ममता के अनुसार वह सरकारी कार का भी प्रयोग नहीं करतीं। सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने पर उसका खर्च वह खुद ही उठाती हैं।
ऐसे निकालती हैं खर्च का पैसा
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि ममता बनर्जी का खर्च कैसे चलता है। इस पर ममता बनर्जी का कहना है कि उनकी किताबों की रॉयल्टी से ही उनका खर्च चल जाता है। बता दें कि ममता बनर्जी की 80 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से कुछ किताबे बेसट सेलर भी हैं। इसके साथ ही ममता गानों के बोल भी लिखती हैं, इससे भी कमाई हो जाती है। ममता की मानें तो वह अपने चाय का खर्च भी खुद ही उठाती हैं।
मोदी के समकक्ष नेता बनकर उभरीं
इस बार के पश्चिम बंगाल के चुनाव ने ममता बनर्जी को कद और भी बढ़ा दिया है। अब उन्हें मोदी के समक्ष की नेता के तौर पर देखा जाने लगा है। क्योंकि पश्चिम बंगाल जितने के लिए बिजेपी ने जितना संघर्ष किया था उससे यही लग रहा था कि यह बीजेपी और टीएमसी के बीच टक्कर है। लेकिन एक तरफ आए चुनावी नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि बंगाल में ममता की लोकप्रियता के सामने कोई नहीं टिकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सादगी ही उनकी पहचान और ताकत दोनों है। इसी तरह ममता बनर्जी की ताकत और पहचान उनकी सादगी को जाता है।
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