नदी पुकार रही है हमको,
मिल कर मुझे बचाओ।
अविरल निर्मल सदा बहूं,
य़ह सब को समझाओ।।
मैं बची बचोगे तुम भी,
य़ह सम्भावित सत्य है।
तुम से है सम्बन्ध पुरातन,
ये प्रकृति का सत्य है।।
अगर अभी न चेते तो फिर,
संकट में पड़ जाओगे।
प्रकृति क्रुद्ध हुई जो भारी,
फिर कैसे बच पाओगे।।
य़ह कोरी कथा न समझो,
भूगर्भ जल घट जाएगा।
पर्यावरण असुरक्षित होगा,
जीव जंतु तड़ पायेगा।।
बनो भगीरथ अभी समय है,
कर्तव्य निभाओ मिल कर।
लें संकल्प सभी ज़न मिलके,
संदेश पहुँचे अब ये घर घर।।
बृजेंद्र पाल सिंह
(राष्ट्रीय संगठन मंत्री लोकभारती)
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