Kahani: एक बार की बात है, जंगल का राजा शेर सो रहा था। तभी एक रती चूहिया को अजीब सा खेल सूझा। वह उसके पेट पर जोर जोर से उछलने लगीं। शेर को गुदगुदी हुई, तो उसकी नींद खुल गई। चुहिया को देखकर शेर ने हँसते हुए कहा, “तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि मेरे ऊपर उछल-कूद करे?” अब तो चुहिया की हालत देखने लायक थी।
थर-थर काँपते हुए उसने कहा, शेर राजा, मुझे माफ कर दीजिए। कभी आप संकट में होंगे] तो मैं भी आपके किसी काम आऊँगी। शेर को सोचकर बड़ा अजीब लगा कि भला यह चुहिया मेरे किस काम आ सकती है? पर फिर भी उसने हँसते हुए उसे छोड़ दिया। कुछ समय बाद की बात है, शेर जंगल में घूम रहा था। तभी कुछ शिकारियों के जाल में फँस गया। वह बड़ा बेबस था।
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उसे लग रहा था कि अब तो मरना ही होगा। पर अचानक पास से गुजरती चुहिया ने यह देख लिया। वह यहाँ गई और जाल को काट दिया। अब शेर आजाद था। उसने प्यार से कहा, “धन्यवाद चुडिया, आज तूने मेरी जान बचाई हैं। मैं इसे कभी भूलूँगा नहीं।”
सीख: कोई बड़ा हो या छोटा, हर किसी का अपना महत्व है।
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