नई दिल्ली: आतंकवाद शब्द ऐसा नासूर बन गया है, जो पूरी दुनिया को अपने चपेटे में लेने की कोशिश में लगा है। इस समय अफगानिस्तान पूरी तरह से आतंकवादियों की चपेट में आ गया है। अफगानिस्तान में बढ़ते तालिबान के वर्चस्व ने अमेरिका, रूस और भारत सहित कई देशों की परेशानियों को बएत्रा दिया है। खबरों के मुताबिक आतंकियों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत के करीब 50 डिप्लोमेट्स और कर्मचारियों ने कंधार का दूतावास खाली कर दिया है। इससे यह समझा जा सकता है कि खतरा कितना बढ़ गया है।
चीनी मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता सुशील शाहीन ने दावा किया है कि अफगानिस्तान के 85% हिस्से पर तालिबान कब्जा जमा चुका है। वहीं भारत सरकार की तरफ से तरफ से लगातार कहा जाता गया है कि कंधार और मजार-ए-शरीफ के दूतावास को नहीं बंद किया जाएगा। यहां की व्यवस्थाएं पूर्ववत जारी रहेंगी। भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंडजे ने दावा किया है कि तालिबान की 20 से ज्यादा आतंकी संगठनों से दोस्ती है। ये आतंकी संगठन रूस से लेकर भारत तक पूरे क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनका मानना है कि तालिबान का वर्चस्व बढ़ने पर वे भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का दायरा बढ़ने से लगभग सभी देशों में खतरा बढ़ गया है। वहीं रूस और चीन सतर्क हो गए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बयान जारी कर कहा है कि तालिबान मध्य एशियाई देशों की सीमाओं का सम्मान करे। ये सभी देश कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं। वहीं बीते हफ्ते चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि अफगानिस्तान में सबसे बड़ा संकट युद्ध और अराजकता को रोकने का होगा।
इसे भी पढ़ें: आतंकियों से संबंध रखने में 11 कर्मचारी बर्खास्त
जबकि शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी में मध्य-पूर्व मामलों के विशेषज्ञ फैन होंगडा के मुताबिक अफगानिस्तान में अराजकता का असर अन्य देशों पर पड़ सकता है। इससे क्षेत्रीय अशांति का खतरा बढ़ रहा है। वहीं संभावना जताई जा रही है कि अफगानिस्तान में तालिबान के हावी होने पर कई लोग पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे ताजिकिस्तान व उज्बेकिस्तान में शरणार्थी बन सकते हैं। ये देश रूस के पड़ोसी हैं, ऐसे में यहां सुरक्षा का संकट खड़ा हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: किसानों की पुलिस से भिड़ंत, बैरिकेड्स पर चढ़ाया ट्रैक्टर