नई दिल्ली। घर में सुख, समृद्वि बनी रहे यह हर किसी की चाहत होती है। घर की खुशियों के लिए हर कोई जद्दोजहद में लगा रहता है। एक समय था कि लोग घर बनाने से पहले इसके वास्तु दोष निवारण पर यंत्र तंत्र सब करते थे। लेकिन आज के दौर में यंत्र तंत्र से पहले नक्शा बनवाना जरूरी हो गया है, जिसके चलते घर तो बन जाता मगर वस्तु दोष के चलते घर की खुशियों पर ग्रहण लग जाता है। वास्तु की नजर से देखा जाए तो आज अधिकत्तर घर कलह व डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। प्रिेश ऐसी समस्या बनती जा रही है कि अब यह छोटे छोटे बच्चों में भी देखने का मिलने लगा है।

शातिर हो रहे बच्चे

वैसे तो डिप्रेशन के कई कारण है, आफिस में काम के बोझ की वजह से लगभग ही व्यक्ति जूझ रहा है। वहीं बच्चे परीक्षा ठीका न होने, किसी विषय में कमजोर होने व अपने समकक्ष वालों को मिल रही सुविधाओं की वजह से चिड़चिड़े होते जा रहे हैं। बच्चों का सारा खेल अब गेम का रूप ले लिया है। बच्चे शरीरिक मेहनत की जगह दिमागी मेहनत करते हैं, जिससे वह शरीरिक रूप से कमजोर तो होते हैं पर दिमागी रूप से शातिर हो गए हैं। महिलाएं भी नौकरी की वजह से गृहस्थी सही से नहीं चला पा रही है, इससे आपसी रिश्तों में भी तनाव बढ़ता जा रहा है।

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वास्तु दोष और डिप्रेशन के बीच का संबंध

वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञों की मानें तो घर की पश्चिमी दिशा में उपस्थित वास्तु दोष के चलते घर के सदस्यों में डिप्रेशन का करण बनता है। ऐसे में डिप्रेशन से बचने के लिए इस दिशा का वास्तु के अनुरूप होना जरूरी है। वास्तु के अनुसार घर के पश्चिम दिशा में ऐसी कोई भी गतिविधि करना मना है, जिसके चलते आपको काफी समय यहां पर गुजारना पड़े। इतना ही नहीं वास्तु में पश्चिम दिशा में सोना भी मना है। इसलिए पश्चिम दिशा में बेडरूम भी नहीं बनाना चाहिए। वहीं इस दिशा में टॉयलेट और सीढ़ियों का निर्माण किया जा सकता है। इसके साथ ही घर के ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा में भारी वस्तुओं को नहीं रखना चाहिए। घर की सुख, समृद्वि के लिए घर को हमेशा साफ और स्वच्छ बनाए रखना चाहिए।

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