हाथरस। देश में अपराध अगर नहीं कम हो रहे है तो इसके लिए काफी हद तक हमारे राजनेता जिम्मेदार हैं। क्योंकि हत्या, दुष्कर्म जैसे घिनौने मामलों में ये लोग राजनीति करने से बाज नहीं आते। लिहाजा ऐसे मामलों का इतना राजनीतिकरण हो जाता है कि मामला जांच में ही दम तोड़ देता है। इसी तरह सूबे के हाथरस में बेटी से छेड़छाड़ की शिकायत करने पर उसके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। मामला काफी गंभीर और जघन्य है। बावजूद इसके नेताओं की तरफ से इस पर राजनीति शुरू हो गई है। क्योंकि बेटी के बाप की हत्या का मुख्य आरोपी सामजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ है।

Hathras case

बेटी और पत्नी के सामने मारी गोली

हर बार की तरह विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर यूपी सरकार को घेरने में लग गई हैं। वहीं वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। घटना की चश्मदीद गवाह मृतक की बेटी ने बताया कि उसके बाप की हत्या का मुख्य आरोपी गौरव समाजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ है। वह एक नंबर का आतंकवादी है। पीड़िता ने बताया कि गौरव सोमवार को दोपहर साढ़े 3 बजे अपने साथियों के साथ खेत पर पहुंचा और मेरे और मम्मी के सामने ही पापा को गोली मार दी।

घर में घुसकर की थी छेड़खानी

पीड़िता के मुताबिक गौरव 16 जुलाई, 2018 को घर में घुसकर उसके साथ छेड़खानी की थी। इस पर उसके पापा ने गौरव खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी जिस पर उसे 15 दिनों की जेल भी हुई थी। जेल से लौटने बाद गौरव हम लोगों पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाता था। केस वापस न लेने पर वह कई जान से मारने की धमकी भी दे चुका था।

सवाल पर भड़के अखिलेश ने पत्रकार को दी धमकी

Akhilesh Yadav

हाथरस मामले को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी। इस दौरान एक पत्रकार ने आरोपी के पार्टी से जुड़े होने पर सवाल पूछ लिया। सवाल पूछना भी लाजिमी था, क्योंकि खुद पीड़िता भी उसके सपा से जुड़े होने की बात कह रही है। लेकिन अखिलेश यादव को यह सवाल इस तरह चुभ गया कि उन्होंने पत्रकार और उसके संस्थान को बिकाऊ कहते हुए देख लेने की धमकी भी दे डाली। अखिलेश का यह तेवर देखकर उनके समर्थक कहां शांत रहने वाले थे। वो लोग भी मीडिया के सामने मीडिया के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

हालांकि अखिलेश की आदत रही है कि वह क्रास सवाल पूछने वाले पत्रकारों को तुरंत बिकाऊं व भाजपा समर्थित घोषित कर देते हैं। इसी कारण अधिकतर पत्रकार उनके प्रेस कांफ्रेंस में मजबूरी बस जाते हैं। बाकी सपा समर्थित पत्रकारों की टोली उनके इर्दगिर्द हमेशा बनी रहती है। वर्तमान समय में जिस हिसाब से अन्य दलों के नेता सपा के साथ जुड़ रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव का गुरूर में रहना लाजिमी है। लेकिन गुरूर में मर्यादा लांघना किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता।

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अखिलेश यादव को यह समझना होगा कि दूसरे दलों के नेताओं के पार्टी में शामिल होने से उनकी सरकार नहीं बन जाएगी। सरकार जनता चुनती है और जनता से जो भी बेअंदाज हुआ उसका अंजाम उनसे बेहतर और कौन समझ सकता है। फिलहाल अखिलेश यादव उसी पार्टी से ताल्लुक रखते है, जिसके संरक्षक मुलायम सिंह यादव दुष्कर्म जैसी घटना पर यह कहते हुए नहीं शर्माते के बच्चे हैं गलती हो जाती है। ऐसे में उनके बेटे अखिलेश से संस्कारित भाषा की उम्मीद करना भी बेमानी है।

बताते चलें कि सोमवार शाम करीब 4 बजे पीड़िता के पिता अमरीश (52) अपने खेत में आलू की खुदाई करवा रहे थे। उसी दौरान हमलावरों ने उन पर हमला बोल दिया और ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए भाग निकले। अमरीश को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। पुलिस उपाधीक्षक रूचि गुप्ता ने बताया कि मृतक की बेटी की तहरीर पर गौरव शर्मा, रोहतास शर्मा, निखिल शर्मा, ललित शर्मा व दो अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। वहीं पुलिस ने एक नामजद हत्यारोपी ललित शर्मा को गिरफ्तार भी कर लिया है। जबकि 5 अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

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