नई दिल्ली। ‘नदी के घाट पर यदि सियासी लोग बस जाते, तो प्यासे होंठ दो बूंद पानी को तरस जाते। गनीमत है कि बादलों पर हुकूमत चल नहीं सकती, वरना सारे बादल इनके खेतों में बरस जाते।’ साफ—सुथरी राजनीति की केवल बात की जाती है, लेकिन राजनीति कितनी गंदी होती है, इसका अंदाजा हमें तब होता है जब हम राजनीति के शिकार बनते हैं। इस समय पूरा देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है। लेकिन हमारे देश के राजनीतिज्ञ इस मौके पर भी सियासत करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऑक्सीजन की किल्लत से मरीजों की सांसें थम रही हैं, लेकिन दिल्ली सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा केंद्र सरकार पर मढ़ने में लगी हुई है। मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच चुका है, जिसपर कोर्ट से अस्पतालों को तत्काल जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि केंद्र और राज्य के इस सियासत में कोरोना संक्रमितों की सांसे ऑक्सीजन की कमी से उखड़ रही हैं। दिल्ली सरकार के वकील ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि दिल्ली को ऑक्सीजन का अपना आवंटित कोटा नहीं मिल पा रहा है। आप सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार हमें ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकर उपलब्ध नहीं करा रहा है। वहीं दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया, जिस पर कोर्ट केजरीवाल से सरकार से अस्पतालों की आवश्यकताओं को तत्काल पूरा करने का आदेश दिया।
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सुनवाई के दौरान दिल्ली के सीताराम भारतीय अस्पताल, वेंकेटेश्वर अस्पताल और इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रेन एंड स्पाइन, लाजपत नगर ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके यहां ऑक्सीजन की दिक्कत चल रही है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि राजधानी को प्राप्त ऑक्सीजन आपूर्ति पर केंद्र और दिल्ली सरकार के आंकड़ों में विसंगतियां हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेशित करते हुए दवा या उपकरण एमआरपी से अधिक दाम पर न बेचे जाने को सुनिश्चित करने को कहा। कोर्ट ने नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की भी बात कही। इसके अलावा आईसीएमआर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि हमने दिल्ली के लिए जो किया वो केंद्र के मुकाबले काफी बेहतर है। साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया कि केजरीवाल की सरकार ने 20 MT, 25 MT, 20 MT, 26 MT, 12 MT, 16 MT और 15 MT के 7 टैंकर हासिल करने में सफलता हासिल की है। दिल्ली सरकार की इस दलील पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र पर जिम्मेदारी डालने पर हमें आपत्ति है। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में कई गैर-औद्योगिक राज्य हैं जो खुद ही ऑक्सीजन टैंकरों की व्यवस्था कर रहे हैं, दिल्ली सरकार को दोषारोपड़ करने की जगह कुछ नई सोच पर काम करना चाहिए।
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