Sakshee Malikkh: साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसी कुछ महिला पहलवानों की तरफ से पूर्व भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के ऊपर लगाए गए गंभीर आरोपों पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हालांकि इसके लिए महिला पहलवानों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन भी करना पड़ा। वहीं यह ऐसा इकलौता मामला नहीं है, जहां इंसाफ पाने के लिए इतना संघर्ष किसी को करना पड़ रहा हो। भारतीय संविधान और भारतीय लोकतंत्र की व्यवस्था ही कुछ ऐसी है, जहां इंसाफ पाने के लिए भी अपराध करना पड़ जाता है। आरोपी अगर दबंग है, तो इंसाफ सबूत नहीं बल्कि भाग्य पर निर्भर करता है। इसका सबूत महिला पहलवानों का संघर्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) का रसूख सबके सामने हैं। जिस आरोप में बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, ऐसे मामले में वह खुलेआम घूम रहे हैं।

बृजभूषण शरण सिंह और महिला पहलवानों के बीच जारी लड़ाई के दो पहलू है। पहला तो बृजभूषण शरण सिंह को फंसाने की कोशिश की जा रही है और दूसरा बृजभूषण शरण सिंह के बहाने पीएम मोदी को टॉरगेट किया जा रहा है। कुल मिलाकर मामले में राजनीति की बात को इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए भी है कि जब महिला पहलवानों का शारीरिक शोषण किया गया, तो वो चुप क्यों थीं? अचानक से आरोप लगाना और तत्काल सजा की मांग भी महिला खिलाड़ियों की नियत पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।

मौके को भुनाने में जुटी कांग्रेस

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस 2014 के बाद से ऐसे मौके की तलाश में लगी हुई है। मामला कोई भी हो, कैसा भी हो अगर वह पीएम मोदी की छवि को प्रभावित करने वाली है, तो कांग्रेस बिना सोचे समझे उसमें कूद पड़ती है। इतना ही नहीं कई मामले ऐसे भी हैं, जिसे कांग्रेस ने मुद्दा बनाने के लिए न सिर्फ उछाला ही बल्कि देश विरोधी तत्वों के साथ खुलकर खड़ी भी हुई। कांग्रेस ऐसा ही कुछ महिला पहलवानों और बृजभूषण शरण सिंह के मामले में भी कर रही है। महिला पहलवानों की लड़ाई अब कांग्रेस बनाम भारतीय जनता पार्टी बन चुकी है।

संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही मचा बवाल

भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को अध्यक्ष चुने जाने के बाद पहलवानों का जो प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, वह राष्ट्र की गरिमा को धूमिल करने वाली है। महिला पहलवानों की मांग पर बृजभूषण शरण सिंह ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। अब उनकी जगह कोई और अध्यक्ष चुना जाए तो भी नाराजगी जाहिर करना कहां तक उचित है। इससे साफ हो रहा है प्रदर्शनकारी पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट राजनीति से प्रेरित हैं और वह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर अपने राज्य से जुड़े व्यक्ति को देखना चाहते हैं।

बृजभूषण पर लगे आरोपों की पुष्टि नहीं

मजे की बात यह है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोपों की अभी पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन कांग्रेस समेत पहलवानों के समर्थक बृजभूषण शरण सिंह को अपराधी मान चुके हैं। हालांकि बृजभूषण शरण सिंह की छवि साफ-सुथरी नहीं है, उन पर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। लेकिन आरोप लगने और उसके सिद्ध होने में बड़ा अंतर होता है। इस बात को कांग्रेस समेत प्रदर्शनकारी पहलवानों को समझना होगा।

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बजरंग पुनिया की निराशाजनक हरकत

संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष चुने जाने के बाद साक्षी मलिक ने जहां कुश्ती छोड़ने का एलान किया है, वहीं उनके समर्थन में बजरंग पुनिया ने पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया है। बजरंग पुनिया का पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की जो प्रक्रिया रही, वह चिंताजनक है। उन्होंने बिना किसी अनुमति के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की कोशिश की। पीएम के सुरक्षार्मियों से जब उन्हें मिलने से रोका तो वह अपना सम्मान वहीं सड़क पर रखकर चले आए। एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी से ऐसी उम्मीद कोई नहीं कर सकता। जिस खिलाड़ी को सम्मान की कीमत न पता हो उसको इसका हकदार कैसे माना जा सकता है? बजरंग पुनिया को यह सम्मान राष्ट्रपति की तरफ से मिला था, तो प्रधानमंत्री को लौटाने का क्या औचित्य? ऐसे कई सवाल हैं जो यह साबित करते हैं कि कभी अपनी मेहनत और लगन से देश का मान-सम्मान और गौरव बढ़ाने वाले खिलाड़ी आज राजनीति के चक्रव्यूह में फंसकर न सिर्फ अपना सम्मान गंवा रहे हैं, बल्कि देश की छवि धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।

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