Congress Ka Vibhajan Kis Varsh Hua: चुनाव में लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस को अब अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने झटका देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस (Congress Ka Vibhajan Kis Varsh Hua) के कद्दावर नेता रहे गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे (Ghulam Labi Azad resignation) के बाद पार्टी में बगावत की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो पाला बदलने की फिराक में हैं। हालांकि कांग्रेस छोड़ने वाले नेता पार्टी छोड़ने की वजह भी बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस (Congress Ka Vibhajan Kis Varsh Hua) आत्ममंथन और लग रहे आरोपों पर चिंतन करने की जगह पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की कमियां गिनाने में लगी हुई है। शायद यह वजह है कि पार्टी के कद्दावर नेता एक के बाद एक कांग्रेस से किनारा कस रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस (Congress Ka Vibhajan Kis Varsh Hua) के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने भी पार्टी का नसीहत दी है। मनीष तिवारी (Manish Tewari) की इस नसीहत के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

कयासबाजी शुरू हो गई है कि मनीष तिवारी (Manish Tewari) भी जल्द पाला बदल सकते हैं। क्योंकि नेतृत्व विहीन हो चुकी कांग्रेस में नेताओं को अब अपना भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा है। बता दें कि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Labi Azad resignation) ने सोनिया गांधी (sonia gandhi age) के नाम पांच पन्नों की चिट्ठी लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद से पार्टी में सियासी उथल पुथल काफी बढ़ गई है। गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे (Ghulam Labi Azad resignation) के बाद ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें मनाने की प्रयास करेगी, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तुरंत वीडियो जारी करके यह तक कह डाला कि जिसे कांग्रेस से जाना है, वह जा सकता है।

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वहीं कांग्रेस से राज्यसभा सांसद मनीष तिवारी ने पार्टी को फिर एकबार नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि जी-23 ने सोनिया गांधी (sonia gandhi age) को पार्टी की स्थिति को लेकर जो चिट्ठी लिखी थी, अगर उसपर ध्यान दिया गया होता तो कांग्रेस में आज ऐसी स्थिति न आती। पार्टी में अपनी स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि मैं इस कांग्रेस का किरायेदार नहीं, बल्कि सदस्य हूं।

मनीष तिवारी ने कहा कि 2 वर्ष पहले हम में से 23 नेताओं ने सोनिया गांधी (sonia gandhi age) को एक पत्र लिखा था, जिसमें पार्टी की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। पार्टी ने इस चिट्ठी को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा रहा कि उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई। उन्होंने बड़ा संकेत देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते हैं तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग सोचना शुरू कर दिया है।’ फिलहाल उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के किराएदार नहीं बल्कि सदस्य हैं, और पार्टी जब उन्हें निकालना चाहेगी तब देखा जाएगा।

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