उतान सोने…

ज्येष्ठ मास रीती सरिताएँ, रीते मन के क्षोभित कोने! सुलग रही हैं दसों दिशाएँ, चली चंचला उतान सोने!! ठुमुक-ठुमुककर बत्तखों जैसी, चाल भवानी की मतवाली! गदरानी कुम्हलाती बाँहें, कमसिन है…

पर्यावरण ही हमारे जीवन का आधार स्तंभ

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) मनाया जाता है। पर्यावरण आज के समय का एक प्रज्वलित विषय है, जिसका असर हर मनुष्य पर, मनुष्य की…

प्रतापगढ़ के पत्रकार को केंद्रीय मंत्री ने प्रदान किया पत्रकारिता पुरस्कार

नई दिल्ली: विज्ञान समाचार सेवा ‘इंडिया साइंस वायर’ (Science News Service, India Science Wire) से जुड़े पत्रकार उमाशंकर मिश्र को वर्ष 2022 का प्रतिष्ठित देवऋषि नारद पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया…

हिंदी को जन-जन की भाषा बनाएं: प्रो.नागेश्वर राव

नई दिल्ली: हमें हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने में सक्रिय योगदान देना होगा। इसके लिए जरूरी है कि साहित्यिक हिंदी की बजाए, ऐसी हिंदी का उपयोग किया जाए, जिसमें…

डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष को मिला 14वां पं. बृजलाल द्विवेदी साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान

नई दिल्ली: प्रख्यात कवि, आलोचक एवं ‘साहित्य परिक्रमा’ के संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष को मीडिया विमर्श परिवार द्वारा नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में 14वें पं.…

पुस्तक-चर्चा: ‘एक भारतप्रेमी छात्र आंदोलन का दस्तावेज’

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में उसकी छात्र- युवा शक्ति का बहुत बड़ा योगदान होता है। बदलाव और परिर्वतन की कथाएं युवा शक्ति ही संभव करती है। आजादी के आंदोलन…

जब मैं बूढ़ा हो जाऊंगा!

जब मैं बूढ़ा हो जाऊंगा, एकदम जर्जर बूढ़ा, तब तू क्या थोड़ा मेरे पास रहेगा? मुझ पर थोड़ा धीरज तो रखेगा न? मान ले, तेरे मंहगे कांच का बर्तन मेरे…

इसे कहते हैं कसक और चाहत

ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकट नहीं…

कर्मों का फल तो झेलना पडे़गा

भीष्म पितामह रणभूमि में शरशैया पर पड़े थे। हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते। ऐसी दशा में…

बसंत के संग

ऋतु बसंत लेकर आया, रंग रंगीला फाग। नवपल्व की चुनर ओढ़े, उपवन करे सिंगार।। उपवन करे सिंगार, हुआ मौसम रंगीला। भौंरा मन मुस्काए, घुमे बन छैल छबीला।। कलियों के संग…