अरबिन्द शर्मा अजनवी
अरबिन्द शर्मा अजनवी

ऋतु बसंत लेकर आया,
रंग रंगीला फाग।
नवपल्व की चुनर ओढ़े,
उपवन करे सिंगार।।

उपवन करे सिंगार,
हुआ मौसम रंगीला।
भौंरा मन मुस्काए,
घुमे बन छैल छबीला।।

कलियों के संग होली खेले,
तितली धूम मचाए।
चूँ-चूँ चह-चह धुन मे पंक्षी,
मस्त जोगीरा गाए।।

झूम-झूम कर पवन बहे,
और उड़ता गर्द गुलाल,
लता विटप से लिपट रही,
मस्ती में झूमे डाल।।

मस्ती मे झूमे डाल,
पतिंगे उड़ते नभ में।
प्रेयसी देखे राह,
चाह रख अमने मन में।।

रहें पिया जो साथ,
गोरी मन नाचे छम-छम।
खिले फूल कचनार,
प्यार का आया मौसम।।

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