Kavita: विश्व गुरु य़ह भारत वर्ष

बाहों में बल, पैरों में गति, संकल्प अटूट हृदय में हो। धैर्य विवेक लगन के स्वामी, अपनत्व भाव अन्तर में हो।। दुष्ट दलन सामर्थ्य तुम्हारी, दृष्टि से पराभूत भयकारी। हित…

Pauranik Katha: हनुमान जी और बाली युद्ध, फटने लगा था बाली का शरीर

Pauranik Katha: कथा का आरंभ तब का है, जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ कि जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा, उसकी आधी ताक़त…

Kahani: संसार की वास्तविकता

Kahani: पुराने जमाने में एक राजा हुए थे, भर्तृहरि। वे कवि भी थे। उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती थी। भर्तृहरि ने स्त्री के सौंदर्य और उसके बिना जीवन के सूनेपन पर…

Pauranik Katha: प्रणाम का महत्व

Pauranik Katha: महाभारत का युद्ध चल रहा था, एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा कर देते हैं कि मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा।…

Kahani: बन्द मुठ्ठी लाख की

Kahani: एक समय एक राज्य में राजा ने घोषणा की कि वह राज्य के मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए अमुक दिन जाएगा। इतना सुनते ही मंदिर के पुजारी…

Kavita: एक दृष्टि

‘भा’रत भारत पुनः खड़ा हो, स्वामी विवेकानन्द ने बोला था। स्वर्णिम अतीत को जानेंगे सब, नव स्वाभिमान पथ खोला था।। झंझावातों में बढ़ हम सब ने, है कटक पथ की…

Pauranik Katha: श्री हरि के वाहन गरुड़जी की रोचक कथा

Pauranik Katha: गरुड़ देव के ये रहस्य आपको आश्चर्यचकित कर देंगे। आखिरकार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ का क्या रहस्य है? क्यों हिन्दू धर्म में उनको विशेष महत्व दिया जाता…

Pauranik Katha: ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर देने में 8 पीढ़ियां असफल रहीं

Pauranik Katha: पौराणिक काल में एक विद्वान ऋषि कक्षीवान हुए जो हर प्रकार के शास्त्र और वेद में निपुर्ण थे। एक बार वे ऋषि प्रियमेध से मिलने गए जो उनके…