नई दिल्ली। यूं तो परिवर्तन संसार का नियम है, लेकिन परिवर्तन जब जरूरत के हिसाब से होता है तो बेहतर लगता है। वहीं ऐसा जब अचानक से होता है तो उस पर चर्चा होना लाजिमी हो जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वर्ष 2021 का बजट पेश कर दिया है। वैसे तो हर बजट की खासियत होती है, लेकिन इसबार का बजट इस लिए खास हो जाता है, क्योंकि कोरोना संकट के दंश से उबर रही स्थिति के बीच पेश किया गया है। इसमें जरूरी सामानों के सस्ते—मंहगे के बीच, कोरोना वायरस से निपटने के लिए क्या बजट निर्धारित किया यह सबसे अहम है। वहीं इस बजट की सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि इस बार देश का पहला पेपरलेस बजट पेश किया गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मेड इन इंडिया टैबलेट से बजट को पढ़ा। वहीं सांसदों को भी बजट उनके मोबाइल पर ही जानने को मिला। इतना ही नहीं यूनियन बजट ऐप से हर कोई बजट को पढ़ सकता है। इस बजट में मेक इन इंडिया की पूरी झलक देखने को मिली। अगर बात की जाए सरकार की नीति और नीयती की सिस्टम में बदलाव करना मोदी सरकार की नीति रही है। यही कारण रहा है कि मोदी सरकार में कई तरह के परिवर्तन हमें देखने को मिले।

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पेपरलेस बजट से जहां कोरोना के संक्रमण के खतरे से बचा जा सकता है, डीजिटल इंडिया की तरफ यह एक बड़ा और अहम कदम है। वर्ष 2017 में बजट में पहली बार ऐसा हुआ जिसमें रेल का बजट ही पेश नहीं किया गया। वहीं वर्ष 2018 में पहली बार ऐसा हुआ जब देश में बनी बनी चीजों के दामों में बजट के बाद भी कोई परिवर्तन ​नहीं किया गया। इसी क्रम में वर्ष 2019 के बजट में 159 साल पुरानी ब्रीफकेस में बजट डॉक्यूमेंट ले जाने की परंपरा समाप्त हुई। वहीं वर्ष 2020 के बजट में पहली बार दो तरह का टैक्स सिस्टम लागू किया गया।

फिलहाल यह पहला मौका है जब पेश होने वाला बजट पेपर पर प्रिंट नहीं हुए। इससे पहले वित्त मंत्रालय की प्रेस में बजट डॉक्यूमेंट्स प्रिंट किए जाते थे। लगभग 100 कर्मचारी बजट डॉक्यूमेंट प्रिंट होने, इसे सील करने और बजट वाले दिन इसे डिलीवर किए जाने तक करीब 15 दिन तक इसके लिए काम करते थे।

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