गुवाहाटी: देश में बढ़ती आबादी बड़ा संकट होता जा रहा है। हालांकि आबादी को नियंत्रित करने के लिए सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को छोटा परिवार सुखी परिवार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने परिवार नियोजन को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को राज्य में सरकारी योजनाओं के फायदे से वंचित किया जा सकता है। फिलहाल असम में यह प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति सभी योजनाओं पर तुरंत लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि केंद्र सरकार की तरफ से कई फायदें दिए जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिनके लिए हम दो बच्चे की नीति नहीं लागू कर सकते हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्कूलों और कॉलेजों, या घरों में मुफ्त प्रवेश दिलाना। लेकिन वहीं कुछ योजनाओं के मामले में, यदि राज्य सरकार की तरफ से यदि एक आवास योजना शुरू की जाती है, तो इसमें दो बच्चों के मानदंड को पेश किया जा सकता है। इस तरह से धीरे-धीरे बाद के चरणों में, राज्य सरकार की हर योजना में जनसंख्या मानदंड आ जाएगा।

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इससे पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा 10 जून को तीन जिलों में हाल ही में बेदखली के बारे में बात करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय से गरीबी को कम करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘सभ्य परिवार नियोजन नीति’ अपनाने का आग्रह किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि इससे रहने की जगह कम हो जाती है और परिणामस्वरूप भूमि अतिक्रमण हो जाता है। इसके अलावा उन्होंने प्रवासी मुस्लिम समुदाय पर बड़े परिवारों के होने की भी बात कही थी। उनके इस बयान पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई थी। साथ ही समुदाय विशेष के लोगों ने भी कड़ी नाराजगी जताई थी।

गौरतलब है कि असम में मौजूदा समय में असम पंचायत अधिनियम, 1994 में 2018 में एक संशोधन के मुताबिक पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और कार्यात्मक स्वच्छता शौचालय की आवश्यकताओं के साथ दो बच्चों का मानदंड तय है।

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