Pauranik Katha: श्रीरामचन्द्र जी बोले, हे लक्ष्मण! अब मैं तुम्हें शाप से सम्बंधित एक अन्य कथा सुनाता हूँ। हमारे ही पूर्वजों में निमि नामक एक प्रतापी राजा थे। वे महात्मा इक्ष्वाकु के बारहवें पुत्र थे। उन्होंने वैजयन्त नामक एक नगर बसाया था। इस नगर को बसाकर उन्होंने एक भारी यज्ञ का अनुष्ठान किया। यज्ञ सम्पन्न करने के लिये महर्षि वशिष्ठ, अत्रि, अंगिर तथा भृगु को आमन्त्रित किया। किन्तु वशिष्ठ के एक यज्ञ के लिये देवराज इन्द्र ने पहले ही वरण कर लिया था, इसलिये वे निमि से प्रतीक्षा करने के लिए कहकर इन्द्र का यज्ञ कराने चले गये।

वशिष्ठ के जाने पर महर्षि गौतम ने यज्ञ को पूरा कराया। वशिष्ठ ने लौटकर जब देखा कि गौतम यज्ञ को पूरा कर रहे हैं तो उन्होंने क्रोधित होकर निमि से मिलने की इच्छा प्रकट की। जब दो घड़ी प्रतीक्षा करने पर भी निमि से भेंट न हो सकी तो उन्होंने शाप दिया कि राजा निमि! तुमने मेरी अवहेलना करके दूसरे पुरोहित का वरण किया है, इसलिये तुम्हारा शरीर अचेतन होकर गिर जायेगा। जब राजा निमि को इस शाप की बात मालूम हुई, तो उन्होंने भी वशिष्ठ जी को शाप दिया कि आपने मुझे अकारण ही शाप दिया है, अतएवं आपका शरीर भी अचेतन होकर गिर जायेगा। इस प्रकार शापों के कारण दोनों ही विदेह हो गये।

King Nimi

यह सुनकर लक्ष्मण बोले, रघुकुलभूषण! फिर इन दोनों को नया शरीर कैसे मिला? लक्ष्मण का प्रश्नल सुनकर राघव बोले, पहले तो वे दोनों वायुरूप हो गये। वशिष्ठ ने ब्रह्माजी से देह दिलाने की प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि तुम मित्र और वरुण के छोड़े हुए वीर्य में प्रविष्ट हो जाओ। इससे तुम अयोनिज रूप से उत्पन्न होकर मेरे पुत्र बन जाओगे। इस प्रकार वशिष्ठ फिर से शरीर धारण करके प्रजापति बने। अब राजा निमि का वृतान्त सुनो।

इसे भी पढ़ें: एक चींटे में छुपा था इंद्र का अतीत!

राजा निमि का शरीर नष्ट हो जाने पर ऋषियों ने स्वयं ही यज्ञ को पूरा किया और राजा को तेल के कड़ाह आदि में सुरक्षित रखा। यज्ञ कार्यों से निवृत होकर महर्षि भृगु ने राजा निमि की आत्मा से पूछा कि तुम्हारे जीव चैतन्य को कहाँ स्थापित किया जाय? इस पर निमि ने कहा कि मैं समस्त प्राणियों के नेत्रों में निवास करना चाहता हूँ। राजा की यह अभिलाषा पूर्ण हुई। तब से निमि का निवास वायुरूप होकर समस्त प्राणियों के नेत्रों में हो गया। उन्हीं राजा के पुत्र मिथिलापति जनक हुए और विदेह कहलाये।

इसे भी पढ़ें: सूर्य आराधना का अद्भुत फल

Spread the news