राष्ट्र भक्ति का भाव लिये हम आगे बढ़ते जायें l
संघ मंत्र के बने पुरोधा समरस ज्योति जलायें ll
सिंधु हिमालय से लेकर हिन्दु सागर तक एक l
सभी उरों में शिव है जागृत लगते भले अनेक ll
गांव नगर वन गिरि वासी सब हैं एक परिवार l
अपने कर्म तपस्या द्वारा हम करें उसे साकार ll
वृहत्तर भारत कभी न भूलें भेरी नित्य बजाएं।
ज्ञान और विज्ञान साथ ले खोये हैं उन्हें मिलाएं।।
रामानुज ने मार्ग दिखाया बने संत रविदास l
बुद्ध साधना महावीर ज़िन नानक बने प्रकाश ll
वाल्मीकि के संदेशों को तुलसी ने ऐसा गाया।
संघर्षों के काल खण्ड में विजयी मन हमने पाया।।
अलख जगा दें जग में सारे हम सब बनें विवेकl
विश्व शिखर पर हम ले जायें सत्य सनातन नेकll
अपने सांस्कृतिक मूल्यों का ऐसा चित्र बनाएं।
वसुधा है परिवार हमारा जग में गीत गुंजायें।।
-बृजेंद्र
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