Yadukul Revival: मिशन 2024 अब एक्टिव मोड में दिखने लगा है। अब तक यादव राजनीति का केंद्र रही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से अलग अलग धाराओं की यदुकुल गतिविधियां (Yadukul revival) दिखने लगी हैं। उत्तर प्रदेश में यादव राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाले चौधरी हरमोहन सिंह के मेहरबान सिंह का पुरवा से चौधरी सुखराम सिंह यादव के पुत्र मोहित यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाई कह चुके हैं। उधर पूर्वांचल से कभी अखिलेश के अति निकट रहे कालीशंकर ने यदुकुल शिरोमणि समागम (Yadukul Shiromani Samagam) के जरिये गोरखपुर और बनारस में जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराकर चौधरी मोहित यादव के साथ एक ऐसा अभियान छेड़ दिया है जो यादव युवाओं को बहुत तेजी से आकर्षित कर रहा है।
कालीशंकर और मोहित की जोड़ी का अगला पड़ाव प्रयागराज है। इस बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से सदा के लिए अपने सभी रिश्ते तोड़ कर शिवपाल यादव ने यदुकुल पुनर्जागरण (Yadukul revival) का ऐलान कर दिया है। स्वाभाविक है कि दृश्य लोकसभा चुनाव 2024 का ही खींचा जा रहा है।
यहां यह उल्लेख अत्यंत आवश्यक है कि चौधरी हरमोहन सिंह के गढ़ मेहरबान सिंह का पुरवा को भाजपा से जोड़ने में संघ परिवार ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि मेहरबान सिंह का पुरवा को केसरिया रंग देने में संघ कामयाब हुआ। इसका प्रभाव यह रहा कि चौधरी सुखराम सिंह यादव को मंच से ऐलान करना पड़ा कि मोदी है तो मुमकिन है। चौधरी सुखराम सिंह यादव के सुपुत्र मोहित सिंह यादव को प्रधानमंत्री ने भाई मोहित यादव का सम्बोधन दिया।
दरअसल उत्तर प्रदेश की राजनीति में यादव मुसलमान समीकरण के साथ प्रभावी राजनीतिक शक्ति बने मुलायम सिंह यादव के कुनबे में बिखराव के बाद यह समीकरण अब नया रूप ले रहा है। (Yadukul revival) सपा की राजनीति का केंद्र रहे कानपुर के चौधरी मेहरबान सिंह का पुरवा से संचालित होने वाली गतिविधियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत 25 जुलाई को नया रंग देकर सपा (Samajwadi Party) की जमीन दरका दी है।
चौधरी हरमोहन सिंह के बहाने प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि अब चौधरी सुखराम सिंह समेत यह रजानीतिक गद्दी भाजपा के साथ है। उधर पूर्वांचल में कालीशंकर ने यदुकुल शिरोमणि समागम के बहाने नई धारा चला कर उसको भी मेहरबान सिंह का पुरवा से जोड़ दिया है। अब कालीशंकर और मोहित यादव की यह जोड़ी युवा यादव समुदाय को तेजी से जोड़ कर बढ़िया विकल्प दे रही है। यह संदेश भी साफ है कि यह टीम संघ और भाजपा की विचारधारा के काफी निकट है।
इसे भी पढ़ें: सीमा पात्रा मोदी-भाजपा की छवि को चाट गईं
अब शिवपाल सिंह यादव ने भी यदुकुल पुनर्जागरण का ऐलान कर के एक नई धारा की तैयारी शुरू कर दी है। शिवपाल यादव भले ही दावा करें कि यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का मकसद गैर सियासी है, लेकिन इसके जरिए वह मिशन-2024 को साधने में लग गए हैं। अखिलेश यादव से पूरी तरह अलग होने के बाद अब वह किसी न किसी बहाने सपा के यादव-मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में जुट गए हैं।
इस मुहिम से समाजवादी पार्टी को कितना नुकसान होगा और भाजपा को कितना फायदा होगा, यह तो भविष्य की बात है, लेकिन शिवपाल अब अखिलेश विरोधी यादव नेताओं को एक मंच पर लाकर सेंधमारी की कवायद में संजीदगी से जुट गए हैं। अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे, उन्होंने डीपी यादव की बाहुबली छवि का हवाला देते हुए सपा में लेने से इनकार कर दिया था। यह अलग बात है कि डीपी यादव सपा में रहते हुए सांसद बने थे।
इसे भी पढ़ें: बस्ती प्रेस क्लब चुनाव में 34 उम्मीदवारों ने ठोकी ताल
भरत गांधी कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव के खिलाफ मुहिम चला चुके हैं। सपा के पूर्व विधायक रामपाल यादव (अब भाजपा में) का अवैध निर्माण भी सपा सरकार में ध्वस्त किया गया था। शिवपाल यादव से पूछा गया कि क्या इन सपा विरोधी नेताओं का यह जमावड़ा है, तो उन्होंने कहा कि हम लोग किसी को टारगेट करने के लिए नहीं हैं। यही नहीं शिवपाल इस बात से इनकार करते हैं कि भाजपा ने उन्हें अपेक्षित महत्व नहीं दिया, इसलिए वह इस तरह का अभियान चला रहे हैं।
शिवपाल का कहना है कि उनकी उन्होंने स्वीकार्यता हर जगह है। खास बात यह कि भाजपा में शामिल हो चुके एक पूर्व विधायक रामपाल यादव भी इस मिशन में शामिल हुए हैं। असल में शिवपाल यादव अब अपने मिशन को श्रीकृष्ण के नाम से जोड़ रहे हैं। नए मिशन का ऐलान के वक्त बड़े से बैनर पर एक ओर श्रीकृष्ण का चित्र तो दूसरी ओर शिवपाल व डीपी यादव का चित्र संकेत दे रहे थे कि अब यदुवंश की सियासी दावेदारी के लिए सपा से संघर्ष तेज होगा।
इसे भी पढ़ें: 17 पिछड़ी जातियों को SC का दर्जा दिलाएगी योगी सरकार
सबसे बड़ी बात यह कि सेना में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग उठा कर उन्होंने यह संकेत देने की कोशिश की है कि सपा को इनसे कोई वास्ता नहीं। अब यादव वर्ग में चाचा भतीजे में किस ओर ज्यादा झुकाव होगा और भाजपा इसमें अपने यादव नेताओं के जरिए कितना असर बना पाती है, इसी से तय होगा कि यादव बेल्ट की विरासत अगले चुनाव में तय होगी।
यहां यह उल्लेख जरूरी है कि जिन मुद्दों को लेकर शिवपाल अब सोच रहे हैं, उन मुद्दों को लेकर कालीशंकर और मोहित यादव की जोड़ी ने बहुत पहले से ही काम करना शुरू कर, उसे यदुकुल समाज में पहुंचा दिया है। उनके आयोजन पहले ही श्रीकृष्ण धर्म ट्रस्ट के बैनर पर हो रहे हैं। यह जोड़ी युवा है और ऊर्जा से भरपूर है। इसलिए सामान्य शिक्षित यादव युवाओं के लिए विकल्प तो मिल ही चुका है। इस अभियान को जिस ढंग से संघ का समर्थन मिल रहा है उससे एक बात कही जा सकती है कि शिवपाल यादव ने यदुकुल की चिंता करने में बहुत देर कर दी है।
(लेखक के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)