बांदा: बुंदेलखंड ने मादी लहर में भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त जीत का स्वाद चखाया था। लेकिन इस बार जीत हासिल कर पाना भारतीय जनता पार्टी के बड़ी चुनौती है। बांदा जिले में चार विधानसभा सीटें हैं। इसमें बांदा सदर, बबेरू सीट, तिंदवारी सीट और नरैनी (सुरक्षित) विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया था। यूपी विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान संपन्न हो चुका है, अब 10 मार्च को चुनाव नतीजों के आने का इंतजार है।
232- तिंदवारी विधानसभा सीट
बांदा जिले की तिंदवारी विधानसभा सीट कई खासियतों को अपने में समेटे हुए है। इस सीट पर कमल खिलाने के लिए भाजपा को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा को यह मौका मिल गया और मोदी लहर के चलते भाजपा प्रत्याशी बृजेश कुमार प्रजापति ने शानदार जीत हासिल की। वर्ष 2017 में कुल 44.47 प्रतिशत मतदान हुआ था। भाजपा प्रत्याशी बृजेश कुमार प्रजापति ने बसपा उम्मीदवार जगदीश प्रसाद प्रजापति को 37407 वोटों के अंतर से हराया था। तिंदवारी सीट पर बीजेपी ने रामकेष निषाद को मैंदान में उतारा है तो वहीं सपा ने बृजेश प्रजापति और बसपा ने जयराम सिंह को प्रत्याशी बनाया है। यहां मुकाबला त्रिकाणीय नजर आ रहा है।
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सियासी इतिहास
1996- महेंद्र पाल निषाद (बसपा)
2002, 2007- विशंभर प्रसाद निषाद (सपा)
2012- दलजीत सिंह (कांग्रेस)
2017- ब्रजेश कुमार प्रजापति (भाजपा)
मतदाता
कुल मतदाता- 281863
पुरुष मतदाता- 158915
महिला मतदाता- 122943
233- बबेरू विधानसभा सीट
बांदा जिले की बबेरू विधानसभा सीट पर वर्ष 2017 के चुनाव में 39.29 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी चंद्रपाल कुशवाहा ने बसपा प्रत्याशी किरण यादव को 22301 वोटों से हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। बबेरू सीट पर त्रिकाणीय मुकाबला देखा जा रहा है। बीजेपी उम्मीदवार अजय सिंह पटेल को बसपा के रामसेवक शुक्ला और सपा प्रत्याशी विशंभर सिंह यादव कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
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सियासी इतिहास
1996- शिव शंकर (भाजपा)
2002- गया चरन दिनकर (बसपा)
2007, 2012- विशंभर सिंह यादव (सपा)
2017- चंद्रपाल कुशवाहा (भाजपा)
जातिगत आंकड़े (अनुमानित)
आंकड़ों के मुताबिक बबेरू सीट पर ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की संख्या 50 हजार के करीब है। वहीं यहां पिछड़ी और अनुसूचित जाति के मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं। मुस्लिम मतदाता भी यहां 25 हजार के करीब हैं। पटेल मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
मतदाता
कुल मतदाता- 332484
पुरुष मतदाता- 183646
महिला मतदाता- 148820
234- नरैनी (सुरक्षित सीट) विधानसभा सीट
बांदा जिले के नरैनी (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर लंबे समय तक बसपा का कब्जा रहा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ने इस सीट पर जीत हासिल की। नरैनी सीट पर कुल 45.30 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। भाजपा प्रत्याशी राज करन कबीर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी भारत लाल दिवाकर को 45007 मतों के अंतर से हराया था। नरैनी कालिंजर फोर्ट को लेकर पूरी दुनिया में विख्यात है। नरैनी सीट पर बीजेपी ने ओममणि वर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं सपा से किरण देवी वर्मा व बसपा से गया चरण दिनकर मैदान में हैं। चुनावी समीकरण बता रहे हैं कि यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच है।
सियासी इतिहास
1996- बाबूलाल कुशवाहा (बसपा)
2002- डॉ. सुरेंद्र पाल वर्मा (बसपा)
2007- पुरुषोत्तम नरेश (बसपा)
2012- गयाचरण दिनकर (बसपा)
2017- राज करन कबीर (भाजपा)
जातिगत आंकड़े (अनुमानित)
नरैनी सीट पर लोध मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है। मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक की भूमिका में रहते हैं।
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मतदाता
कुल मतदाता- 338609
पुरुष मतदाता- 184784
महिला मतदाता- 153816
अन्य- 09
235- बांदा विधानसभा सीट
केन नदी के किनारे बसा जिला ऋषि वामदेव की तपोभूमि बांदा जिले में भाजपा के सामने इसबार कमल खिलाने की चुनौती बनी हुई है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 45.61 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रकाश द्विवेदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी मधुसूदन कुशवाहा को 32828 वोटों के अंतराल से हराया था। बांदा सीट पर इसबार बीजेपी उम्मीदवार प्रकाश द्विवेदी, बसपा से धीरज राजपूत और सपा से मंजुला विवेक सिंह मैदान में हैं।
सियासी इतिहास
1996- विवेक कुमार सिंह (कांग्रेस)
2002- बाबू लाल कुशवाहा (बसपा)
2007, 2012- विवेक कुमार सिंह (कांग्रेस)
2017- प्रकाश द्विवेदी (भाजपा)
जातिगत आंकड़े (अनुमानित)
कुल मतदाता- 304361
पुरुष मतदाता- 166543
महिला मतदाता- 137801
अन्य- 17
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