राघवेंद्र प्रसाद मिश्र
UP elections 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के अपनों ने बगावती तेवर अपना कर पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। टिकट कटने और न मिलने से नाराज बीजेपी नेता पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार कर लिया है। ऐसे में जहां कुछ प्रत्याशी निर्दलीय मैदान में आ गए हैं, तो कुछ ने भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए दूसरे दलों का दामन थाम लिया है। ये वही नेता हैं जो चुनाव से पहले खुद को बीजेपी का समर्थित नेता बताकर जनता के बीच में पार्टी की उपलब्धियां गिना रहे थे। लेकिन टिकट की दावेदारी फेल होते ही इनकी नीति, नीयत और नैतिकता हाशिए पर चली गई और अब वह बीजेपी प्रत्याशी को हराने की हर संभव कोशिश में जुट गए हैं। कुछ ने दूसरों दलों में ठिकाना ढूंढ लिया है तो कुछ निर्दलीय मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने अब सत्ता विरोधी लहर के साथ अपनों के विरोध की चुनौती आ गई है।
बता दें कि टिकट बंटवारे से पहले कई दिग्गज नेता खुद को बीजेपी का समर्पित नेता बताकर जनसंपर्क करना शुरू कर दिया था। वह जनता के बीच पहुंचकर खुद को सच्चे जनसेवक बताने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन राजनीति से आने वाले कुछ नेताओं को छोड़कर नए नेताओं का जनता के बीच कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में उनका टिकट कटना पहले से तय माना जा रहा था। वहीं हुआ भी, बीजेपी ने जिन उम्मीदवारों को अपने सर्वे में विफल पाया, उनका टिकट कट कर दिया। टिकट कटते ही खुद को पार्टी का समर्थित नेता बताने वाले अपनी औकात पर आ गए और वह बीजेपी प्रत्याशी को हराने के लिए निर्दलीय मैदान में उतरने का एलान कर रहे हैं। ऐसा केवल भाजपा में ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियों में भी देखा जा रहा है।
बीजेपी की अपेक्षा अन्य दलों में इस तरह के विरोध काफी कम है, क्योंकि अन्य दलों के नेताओं का मकसद सिर्फ बीजेपी के विजय रथ को रोकना है। वहीं पूर्वांचल में देखा जाए तो जातीय समीकरण अपने चरम पर है। जातीय समीकरण को देखते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है। अखिलेश यादव के नामांकन के बाद से करहल सीट से जो रुझान आ रहे हैं, उससे यह साफ नजर आ रहा है कि यहां उनकी एक तरफा जीत होने वाली है। यादव बाहुल्य करहल की जनता सिर्फ अखिलेश को वोटिंग करने की बात कर रही है।
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गोंडा जनपद में बीजेपी विधायक अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया करनैलगंज से टिकट कटने से नाराज होकर सपा उम्मीदवार का खुलकर समर्थन करने लगे हैं, जिसके चलते बीजेपी प्रत्याशी अजय कुमार सिंह की जीत पर संकट के बादल छा गए हैं। वहीं बस्ती जनपद के कप्तानगंज विधानसभा सीट पर बीजेपी से टिकट न मिलने से नाराज दिग्विजय सिंह राना, इंजीनियर वीरेंद्र मिश्र और रमाकांत पांडेय ने निर्दल चुनाव मैदान में उतरने की बात कर रहे हैं। चर्चा है कि इंजीनियर वीरेंद्र मिश्र इस समय सपा प्रत्याशी के साथ घूमने हैं। ऐसे में बीजेपी प्रत्याशी सीपी शुक्ल की हार तय मानी जा रही है। क्योंकि पार्टी के बागी नेता बीजेपी का गेम ओवर करने में जुट गए हैं। हालांकि रमाकांत पांडेय जहां हवा हवाई भाजपाई हैं, तो वहीं दिग्विजय सिंह राना हिंदुत्व छवि वाले कद्दावर नेता हैं। राना सिंह निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी जीत चुके हैं और क्षेत्र में जनता के बीच उनकी अच्छी पकड़ भी है। जबकि रमाकांत पांडेय चुनावी नेता के तौर पर देखे जा रहे हैं, चर्चा है कि वह चुनाव के दौरान जनता के बीच है। चुनाव खत्म होते ही उनका फिर पता नहीं लगेगा।
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