विनय शुक्ला
लखनऊ: फासले भर ही चला था गलत, राहे शौक में मंजिल ताउम्र मुझको तलाशती रही…अब्दुल हमीद अदम की चंद लाइनें जयपुर की दो बेटियों पर सटिक बैठती है। जब परिजनों से नाराज होकर घर छोड़ने का फैसला लिया और इस भीड़ में सारे रिश्ते छोड़कर दोनों तन्हा महसूस करने लगी। सिर छिपाने और रोजगार की तलाश में लखनऊ में भटक रही नाबालिग बहनों ने एक ऐसी कहानी रची। जिसे सुनकर उन्हें रोजगार मिला और सिर छिपाने के लिए हॉस्टल में छत भी मिली। उधर बेटियों की तलाश में जुटी दो राज्यों की पुलिस के पसीने छुटने लगे थे। करीब 50 दिन बाद लखनऊ पुलिस ने दोनों बहनों को ढूंढ निकाला और परिजनों को सुरक्षित सुपुर्द कर दिया। नाबालिग से बाल मजूदरी करने वाली कंपनी के बारे में लखनऊ की नाका पुलिस छानबीन कर रही है।
ऑटो ड्राइवर के मोबाइल से टीचर से मांगी थी मदद
दरअसल, बीते 3 फरवरी को जयपुर के महेशनगर थानाक्षेत्र के अवधेश कुमार की बेटियां भावना और रामा कंवर स्कूल की छुट्टी के बाद लापता हो गई। अवधेश हाईकोर्ट के वकील है। देर शाम तक दोनों बेटियां घर नहीं लौटी तो परिजनों को उनकी चिंता सताने लगी। मोबाइल पर संपर्क किया तो उनका सेलफोन बंद जाने लगा। किसी अनहोनी की आंशका पर अवधेश ने महेशनगर कोतवाली में बेटियों की गुमशुदगी दर्ज कराई। इसके बावजूद जयपुर पुलिस ने इस मामले में सक्रिए नहीं हुई। 4 फरवरी की सुबह भावना और रामा राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर उतरी। इसके बाद दोनों बहनों ने चारबाग रेलवे स्टेशन से निशातगंज तक ऑटो किया लेकिन ऑटो ड्राइवर को किराया देने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं थे।
इसके बाद दोनों बहनों ने ऑटो ड्राइवर के सेलफोन से अपने टीचर को कॉल कर पैसे मांगे, लेकिन दोनों बहनों की गुमशुदगी टीचर से छिपी नहीं थी। इसके बाद उनके टीचर ने अवधेश से सम्पर्क किया और पूरी हकीकत पता चली। तभी ऑटो ड्राइवर के मोबाइल पर लापता बेटियों के मां—बाप की कॉल आने लगी। जब भावना और रामा को इस बात की भनक हुई तो वह निशातगंज फ्लाईओवर के पास उतर गई। इसी बीच जयपुर पुलिस को लापता बहनों की एक लीड में मिली। इसके आधार पर पता चला कि दोनों बहनें लखनऊ में हैं।
आटो ड्राइवर को किया ट्रेस
इसके बाद जयपुर पुलिस ने लखनऊ पुलिस से सम्पर्क किया और एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा के संज्ञान में मामला पहुंचा। लापता बेटियों की तलाश में क्राइम ब्रांच और नाका पुलिस की एक टीम गठित हुई। सर्विलांस की मदद से पुलिस ने ऑटो ड्राइवर को ट्रेस किया और उससे सख्ती से पूछताछ की गई। तब ऑटो ड्राइवर ने बताया कि उसने दोनो बहनों को निशातगंज फ्लाईओवर के पास छोड़ दिया था। इसके बाद दोनों बहनें कहां गई। उसे इस बात की कोई भी जानकारी नहीं है। इसके बाद लखनऊ की नाका पुलिस ने निशातगंज मार्केट के पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगलाने शुरु किए।
इस दौरान पुलिस एक सीसीटीवी फुटेज में दोनों बहनें पैदल सड़क पार करती हुई इंदिरानगर की तरफ जाती दिखाई पड़ी। फिर नाका पुलिस ने दोनों बहनों को ढूंढ निकालने का बेड़ा उठा लिया लेकिन सफलता हाथ नहीं। इस तरह कई दिन निकल गए। मगर लापता बेटियां का कहीं पता नहीं चला। इसके बाद पुलिस टीम ने बेटियों की तलाश में उनका फोटो लगा इतेहार हर जगह चस्पा किया।
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मां-बाप ने घर निकाल दिया
सिर छिपाने और रोजगार की तलाश में दोनों बहनें जानकीपुर के मास्कीटो रेपीलेंट कंपनी के दफ्तर पहुंची। जहां भावना ने खुद को बालिग बताते हुए कंपनी के सुपरवाइजर को एक झूठी कहानी बयां की। उस वक्त भावना ने बताया कि उनके मां-बाप दुबई में रहते हैं। मां बाप का व्यहार उनके प्रति बिल्कुल भी अच्छा नहीं हैं। जिस वजह से दोनों बहनें मां-बाप के साथ नहीं रहना चाहती। दोनों बहनें जॉब कर अपना खर्च चला सकती हैं। भावना की कहानी पर यकीन कर सुपरवाइजर ने दोनों बहनों को रोजगार पर रख लिया और कंपनी के हॉस्टल में उन्हें पनाह दी। दोनों ही बहनें डोर-टू-डोर मास्कीटो इलेक्ट्रानिक मशीन की मार्केटिंग करने लगी। इसी बीच गुडम्बा और इंदिरानगर के एक सीसीटीवी कैमरे में मार्केटिंग कर दोनों बहनों की फुटेज कैद हो गई।
व्यापारी नेता ने दिया सुराग
उधर जयपुर पुलिस बेटियों की खोजबीन में लखनऊ पुलिस से मदद की अपील करने लगी लेकिन नाका पुलिस के हाथ खाली थे। मंगलवार की रात ट्रांसगोमती इलाके के व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने दोनों बहनों को डोर—टू—डोर मास्कीटो इलेक्ट्रानिक मशीन की मार्केटिंग करते देखा। इसके बाद व्यापारी नेता ने एसडीसीपी पश्चिम को दोनों बहनों के बारे में जानकारी दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने क्षेत्र में लगे सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले। जिसमें एक—एक बार कड़ियां जुड़ती गई। दोनो बहनों को तलाश करने के लिए सिविल ड्रेस में पुलिस टीम तलाश करने लगी। इसी बीच नाका पुलिस जानकीपुरम के मास्कीटो रेपीलेंट कंपनी के दफ्तर पहुंची और दोनों बहनों को खोज निकाला। करीब पचास दिन बाद लखनऊ की नाका पुलिस ने दोनों बहनों को खोज निकला और उन्हें परिजनों को सुपुर्द कर दिया।
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