लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दूसरा कार्यकाल शुरू हो गया है। बेहतर कानून व्यवस्था के दावों के साथ इसे और चुस्त दुरुस्त बनाए जाने की कवायद भी हो रही है। मगर यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली सरकार के सारे दावों की हवा निकालने के लिए काफी है। आलम यह है कि पुलिस प्रताड़ना से मुक्ति पाने के लिए लोगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगानी पड़ रही है। वहीं पिछले कार्यकाल की तरह इस बार भी इंसाफ पाने के लिए लोगों को आत्मदाह जैसे खौफनाक कदम उठाने पड़ रहे हैं। मामला राजधानी लखनऊ का है, जहां रानीखेड़ा की रहने वाली महिला राम प्यारी पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आज भाजपा कार्यालय के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया। हालांकि पुलिस की सतर्कता के चलते उसे बचा लिया गया है।

महिला का आरोप है कि गोसाईगंज पुलिस उसके लड़के को फर्जी मुकदमे में फंसाकर परेशान कर रही है। पुलिस उसके लड़के को जबरन जेल भी भेज चुकी है। उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। महिला का कहना है कि अगर उसे इंसाफ नहीं मिला तो वह अपनी जान दे देगी। फिलहाल पुलिस महिला को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया है। इस घटना के बाद राजधानी पुलिस सकते में आ गई है। वहीं बीजेपी कार्यालय के सामने फरियादी महिला की आत्मदाह के प्रयास ने राजधानी पुलिस के चेहरे का उजागर कर दिया है। बताया जा रहा है कि राजधानी में जब यह महिला आत्मदाह करने का प्रयास कर रही थी, उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए बैठक कर रहे थे।

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बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सबसे ज्यादा फजिहत यूपी पुलिस के चलते हो रही है। पुलिस एक तरफ जहां बड़े अपराधियों की एनकाउंटर कर रही है। वहीं फरियादियों की एफआईआर न दर्ज कर सबकुछ ठीकठाक होने का दावा भी कर रही है। जानकारों की मानें तो पुलिस वसूली के लिए किसी को भी थाने बुलाकर प्रताड़ित करने में कोई संकोच नहीं कर रही है। नतीजा यह है कि कि योगी राज में जनता गुंडों से ज्यादा यूपी पुलिस से परेशान हो रही है।

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