Tokyo Olympics 2020: जापान के टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू हुए ओलंपिक खेलों का आज यानी 8 अगस्त को समापन हो रहा है। जबकि भारत के नजरिए से देखें तो उसके सारे मैच समाप्त हो चुके हैं। हालांकि भारत का इस बार सबसे बेहतरीन प्रदर्शन रहा। टोक्यो आलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारत सात मेडल हासिल करने में सफल रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ओलंपिक खेलों में भारत ने 7 मेडल जीते हैं। इससे पहले वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक में भारत ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 6 मेडल जीते थे। वहीं सुपर जेवलियन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने 13 वर्षों बाद भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर कर ओलंपिक में इतिहास रच दिया है।
मीराबाई चानू से हुई शुरुआत
टोक्यो ओलंपिक में भारत को मेडल मिलने की शुरुआत मीराबाई चानू से शुरू हुई। देशवासियों को मीराबाई चानू से पदक की उम्मीद पहले से थी और उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश को निराश नहीं किया। टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल से भारत का खाता खोला। वेटलिफ्टिंग के 49 किलोग्राम वर्ग में मीराबाई चानू को सिल्वर मेडल जीता। रजत पदक जीतने के बाद मीराबाई ने कहा कि उनका सपना साकार हो गया। लेकिन इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें कई तरह की दिक्कतों से गुजरना पड़ा।
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इम्फाल के नोंगपोक काकजिंग गांव की रहने वाले मीराबाई चानू छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनका बचपन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है। उन्हें पहाड़ियों से लकड़ियां तक काटने पड़े हैं। चानू ने वर्ष 2009 में अपना पहला राष्ट्रीय पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल किया। मीराबाई चानू को रियो को ओलंपिक 2016 में निराशा हाथ लगी। लेकिन मणिपुर की इस खिलाड़ी ने निराशा के सामने घुटने की जगह वर्ष 2017 विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीत कर यह साबित कर दिया कि सफलता हौसले से मिलती है। चानू इस प्रतियोगिता में दो दशक से अधिक समय में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बनीं। इसी के कुछ महीनों बाद उन्होंने वर्ष 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता।
लवलीना ने अपने पंच से दिलाया मेडल
इसी कड़ी में लवलीना बॉरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया। कॅरियर का पहला ओलंपिक खेल रही लवलीना बोरगोहेन (69 किलो) ने पूर्व विश्व चैम्पियन चीनी ताइपै की नियेन चिन चेन को मुक्केबाजी स्पर्धा में हराकर भारत का मेडल पक्का किया। असम के गोलाघाट की रहने वाली लवलीना बॉरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर, 1997 को टिकेन और मामोनी के घर में हुआ। टिकेन उनके पिता एक छोटे व्यापारी थे और उनकी आमदनी बेहद कम थी। लवलीना से पहले उनकी दो बड़ी जुड़वां बहनों लिचा और लीमा ने भी राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग स्पर्धा में हिस्सा लिया, लेकिन दोनों इसके आगे नहीं बढ़ पाईं। वहीं स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने लवलीना की प्रतिभा को देखते हुए नौंवी कक्षी में ही उसे परंपरागत करने की जिम्मेदारी ले ली। इस तरह लवलीना का बॉक्सिंग सफर वर्ष 2012 से शुरू हो गया।
रवि दाहिया ने दिलाया दूसरा सिल्वर
टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया ने कुश्ती में जो धमाल मचाया उससे पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बज गया। रवि दहिया ने भारत को दूसरा सिल्वर मेडल भी दिलवाया। सेमीफाइनल मैच में रवि दहिया ने हार के मुंह से जीत को निकालते हुए जिस तरह भारतीय टीम को चौथा मेडल दिलवाया था, उसके बाद से उनसे गोल्ड मेडल की आस काफी बढ़ गई थी। लेकिन फाइनल में उन्हें ओलंपिक समिति के मौजूदा विश्व चैंपियन जावुर युगुएवसे 4-7 से हार का सामना करना पड़ गया। बता दें कि रवि कुमार दहिया ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले भारत के दूसरे पहलवान हैं। दहिया से पहले सुशील कुमार ने वर्ष 2012 के ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। रवि दहिया ने वर्ष 2015 में अपनी प्रतिभा का झलक दिखाते हुए अंडर-23 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था।
दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं सिंधु
टोक्यो ओलंपिक में पीवी सिंधु ने वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद हर भारतवासी को थी। पीवी सिंधु ने चीन की बिंग जियाओ को 21-13, 21-15 से हराकर बैडमिंटन महिला एकल का ब्रॉन्ज़ मेडल जीता। इसी के साथ ही पीवी सिंधु दो ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। दुनिया की सातवें नंबर की खिलाड़ी पीवी सिंधू ने मुसाहिनो फॉरेस्ट स्पोर्ट्स प्लाजा में 53 मिनट चले कांस्य पदक के मुकाबले में चीन की दुनिया की नौवें नंबर की बायें हाथ की खिलाड़ी बिंग जियाओ को 21-13, 21-15 से हराकर मेडल पर कब्जा जमाया। वहीं सेमीफाइनल में सिंधू को चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से हार का सामना करना पड़ गया।
बजरंग पुनिया ने दिलाया सिल्वर
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल करने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। फिलहाल उन्होंने कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से शिकस्त देकर टोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमा लिया। बता दें कि बजरंग पूनिया को यह सफलता वर्षों की कड़ी मेहनत और त्याग के बाद हासिल हुई है।
नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास
टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया। नीरज के बदौलत 13 वर्ष बाद भारत के खाते में एक बार फिर ओलंपिक का गोल्ड मेडल आ गया है। सुपर जेवलियन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने भारत के तेरह सालों के लंबे इंतजार के बाद गोल्ड मेडल दिलाने में सफल रहे। इतना ही नहीं ओलंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार भारत का कोई खिलाड़ी एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतने में सफल हुआ है। नीरज चोपड़ा से पहले वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाजी में गोल्ड मेडल हासिल था।
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