Health Tips: जब गले में पाई जाने वाली थायराइड ग्रंथि सामान्य कार्य करना बंद कर देती है, तब थायराइड (Thyroid) की समस्या आती है। तितली के आकार की यह ग्रंथि वोकल कॉर्ड के नीचे और गले के सामने वाले भाग में पाई जाती है। दरअसल, थायराइड (Thyroid) शरीर में मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है। छोटी-छोटी थैली के टुकड़ों से जैसी बनी थायराइड ग्रंथि में एक तरह का गाढ़ा द्रव पाया जाता है। इसी गाढ़े द्रव में थायराइड हार्मोन पाए जाते हैं। थायराइड हार्मोन विभिन्न रासायनिक पदार्थों को इकट्ठा करके रक्त में भेजने का काम करते हैं। जिला अस्पताल में रोज करीब 8 से 10 थायराइड से पीड़ित मरीज आते हैं। विश्व थायराइड दिवस हर वर्ष 25 मई को मनाया जाता है। ताकि लोग थायराइड (Thyroid) के बारे में जागरूकता और रोगों की रोकथाम और उपचार के बारे में जान सके।
दो प्रकार का होता है थायरॉइड (Thyroid)
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. वागिश वैश्य ने बताया कि अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थायरॉइड हार्मोन की सक्रियता पर असर पड़ता है। आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथियाँ विशेष रूप से प्रभावित होती हैं। यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो तो इसके होने की संभावना अधिक रहती है। थायराइड बीमारी दो प्रकार की होती है। एक हाइपर थायराइड और दूसरी हाइपो थायराइड। थायराइड के उपचार के लिए रक्त में टीएसएच और थायराइड हार्मोन की जाँच की जाती है। थायराइड से पीड़ित मरीजों को कम से कम हर 3 महीने पर थायराइड की जांच कराते रहना चाहिए।
महिलाओं में अधिक खतरा
जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैव्या ने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायरॉयड रोग का खतरा अधिक रहता है। जिला अस्पताल में आने वाली 10 गर्भवती महिलाओं में से दो से तीन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान थायराइड की समस्या का पता चलता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के पहले महीने में ही थायराइड सहित सभीजांच करानी चाहिए। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। अगर सही दवा नहीं दी जाए तो बच्चे का विकास, ब्रेन में समस्या और गर्भवती का गर्भपात तक हो सकता है।
हाइपर थायराइड
जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उनमें अत्यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनता है और इससे शरीर का वजन कम हो जाता है। पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है। घबराहट,हाथों का कापना, अनिद्रा, दिल की धड़कन का बढ़ना, महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता होना। थायराइड हार्मोन के संतुलन के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर चीजें जैसे, अखरोट, फ्लैक्स सीड्स,आंवला और फिश खानी चाहिए। इसके प्रोटीन से भरपूर सोया प्रोडक्ट्स का सेवन भी किया जा सकता है।
हाइपो थायराइड
इससे पीड़ित मरीजों का वजन बढ़ जाता है। वहीं, इसमें थायराइड हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है। इस वजह से पाचन शक्ति कम हो जाती है और मोटापा बढ़ने लगता है।
लक्षण
हमेशा थकान बने रहना, बालों का झड़ना, अवसाद, कन्फ्यूज रहना, मासिक धर्म में अनियमितता होना।
ये हैं फायदेमंद
अपनी डाइट में विटामिन डी एवं साबुत अनाज, बाजरा, ज्वार, फल, सब्जियां शामिल करना चाहिए। ऐसे मरीजों के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद हो सकता है।
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