सुमित मेहता
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां पूरे सुरूर पर है। सभी दलों के अपने समीकरण हैं। लेकिन वोटों के आंकड़ों पर गौर करें तो स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीट जीतने का दावा बीजेपी कर रही है। वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया भी प्रदेश की सभी सीटों पर बीजेपी को शिकस्त देने का दावा कर रहा है। लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी के लिए आगामी चुनाव में कई जीती हुई सीटों पर खतरे की घंटी बज रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन ने 43.64% वोट पाकर प्रदेश की 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2019 में गठबंधन ने 49.98% वोट पाकर 64 सीटों पर जीत दर्ज की। गठबंधन को 2019 में भले ही 7.35% ज्यादा वोट मिले, लेकिन 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था।
कई सीटों पर तो कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। अब उन ही सीटों पर बीजेपी गठबंधन के लिए खतरे की घंटी बज रही है। क्योंकि इन सीटों पर जीत और हार का फैसला बहुत कम वोटों से हुआ था। 2024 में अगर NDA इन सीटों पर जीत हासिल कर पाने में असमर्थ होता है, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। 2014 में मुजफ्फरनगर की सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद संजीव बालियान ने 4,01,150 वोटों से जीत दर्ज की थी। वहीं 2019 में RLD उम्मीदवार अजित सिंह को उन्होंने सिर्फ 6,526 वोटों के मामूली अंतर से शिकस्त दी थी। यही वजह है कि इस सीट पर बीजेपी के लिए खतरा नजर आ रहा है।
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मेरठ की सीट पर NDA गठबंधन को 2014 में 2,32,326 वोटों से बड़ी जीत मिली थी। वहीं 2019 में सपा-बसपा के महागठबंधन ने बीजेपी सांसद को जीत के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाने को मजबूर कर दिया था। बसपा उम्मीदवार हाजी मोहम्मद याक़ूब से राजेंद्र अग्रवाल सिर्फ 4,729 वोटों से जीते थे। मछलीशहर सीट पर तो बीजेपी उम्मीदवार बीपी सरोज ने बसपा प्रत्याशी को त्रिभुवन राम को सिर्फ 181 वोटों के अंतर से शिकस्त दे पाए।
कुछ ऐसा ही हाल बीजेपी का बागपत, सुल्तानपुर, कन्नौज, बलिया और चंदौली में है। बागपत में बीजेपी ने 2,09,866 वोटों से 2014 में जीत दर्ज थी। वहीं 2019 में बीजेपी के मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह ने RLD उम्मीदवार को 23,502 वोटों से हराया था। सुल्तानपुर में मेनका गांधी 14,526, कन्नौज से सुब्रत पाठक 12,353, बलिया से वीरेन्द्र सिंह 15,519 और चंदौली से महेंद्र नाथ पांडे ने 13,959 वोटों के अंतर से जीत दर्ज थी।
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