Poem: उधर उर्वशी व्यस्त हुई है
परिवर्तन ऐसा आया है, रहन सहन सब भव्य हो गए। भोलापन हो गया नदारद, कहने को हम सभ्य हो गए।। नर-नारी में होड़ लगी है, किससे आगे कौन रहेगा। कोई…
परिवर्तन ऐसा आया है, रहन सहन सब भव्य हो गए। भोलापन हो गया नदारद, कहने को हम सभ्य हो गए।। नर-नारी में होड़ लगी है, किससे आगे कौन रहेगा। कोई…
ससुरी गरमी खाय रही है। दिन मा दुइ-दुइ बार नहाई लागै बम्बा मा घुसि जाई। जब देखो तब बिजुरी गायब, ओकरे संगे पानिउ गायब। झाड़ू-पोंछा अबै लगावा, आंधी चली, दंड…
मैं नदी-नाल का केवट हूँ, तुम भवसागर के मालिक हो। मैं तो लहरों से लड़ता रहा तुम पार उतरने वाले हो। मेरी नैया डगमग डोले तेरी कृपा तो संबल हो।…
बड़ा करारा घाम लगत हौ। तपै जेठ के गरम महीना। तर-तर तर चुवै पसीना। एही में न्योता और हकारी। केहु के ब्याह परल ससुरारी। चार ठों न्योता गांव में बाटै।…
उस नेता ने नारा दिया था स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। अब नेता का नारा है अपनी तिजोरी भरना हमारा कर्मसिद्ध अधिकार है। उस नेता ने कहा था तुम मुझे…
धरती का चूमचाम बदरे में रेखा हाय रे परान तोहे कबहुं न देखा। बदले भूगोल अब बदले विशेखा भारती के भाल से मिटे कलंक रेखा। देखा नहीं सिंध पंजाब सज्जो…
आज काल का चक्र कह रहा तुमको जगना उठना ही होगा। छोड़ जातीयों के कुचक्र भेद ले राष्ट्र भाव जुटना ही होगा।। राम कृष्ण के वंशज हम सब तुलसी, वाल्मीकि,…
जब रसोई में दाना न हो, छप्पन भोग बना दे। सोने को बिछौना न हो, पलकें बिछा दे। सिर पर छत न हो, आँचल ओढ़ा दे। रोने को कंधा न…
खुली आँख थी या कि तुम सो रहे थे, कहीं उड़ गया था तुम्हारा सुआ क्या? घटना घटी देखकर पूछते हो! हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? निजी…
प्रकृति भी रंग पसारे है, नववर्ष तुम्हारा आलिंगन! फसलें भी स्वर्ण सरीखी सी, आतुर हैं आने को आंगन। जो बीत गईं वो यादें हैं, आएंगी वो है नव जीवन! बीतीं…